किसी भी महिला के 16 शृंगारो में एक ही बिंदी लगाना बिंदी के बिना महिला के सौन्दर्य को अधूरा माना जाता हे यानिकि किसी भी नारी की सुंदरता पर चार चाँद तब लग जाते हे जब वो पूर्ण शृंगार के साथ अपने माथे पर बिंदी भी लगाती हे यानिकि बिंदी लगाने से नारी के सौन्दर्य में निखार आ जाता हे बिंदी को सुगाह या सौभाग्य का प्रतिक भी माना जाता हे जिनको माथे के मध्य में लगाई जाती हे तो आज हम इन्ही बिंदी पर शायरी लेकर आये है हमें उम्मीद हे की आपको ये जरूर पसंद होगी। Bindi Par Shayari
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बिंदी पर शायरी
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(1)
सिर पर दुपट्टा और माथे पर काली बिंदी
हल्की ही मुस्कराहट और शर्माती आंखे
इन अदाओ से मुझे दीवाना बना रही हो
दूर खड़ी रहकर भी मुझे बहका रही हो
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(2)
तू जब लाल साड़ी पहनकर बिंदी लगाती हे
हमारे दिल को तू दीवाना बनाती हे
कभी लगता हे तू खुद को तेरे लिए सजाती हे
पर सच ये हे की घायल हम हो जाते हे
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(3)
में अपना सब कुछ खोने लगता हु
तुझे देखकर तेरा होने लगता हु
जब भी आती हे मुझे याद तुम्हारी
तो तेरी बिंदी को याद करके सोने लगता हु
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(4)
तेरे नाम की बिंदी जब माथे पे लगाती हु
तब तुझे देखने में तेरे सामने आती हु
तुम चाहे जितना दूर रहो हमसे मगर
में हमेंशा तुझे अपने करीब पाती हु
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(5)
जब वो कानो में झुमके, माथे पर बिंदी
और आँखों में काजल लगाती हे
जब वो मेरे सामने आती हे
तब खुद को सजाकर आती हे।
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(6)
मेरे माथे पर लगी बिंदी को देखकर
लोग कहते हे कमाल हे
फैशनी ये दुनिया क्या जाने वो
बिंदी मेरा स्वाभिमान हे
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(7)
अपने माथे की बिंदी को वो
आईने पर लगा लेती हे
खुद तो संवारती हे लेकिन
आइना भी संवार देती हे
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(8)
ये माथे पर बिंदी
क्या कहर हो तुम
कुछ भी कहु कम हे
बस ज़हर हो तुम
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बिंदिया पर शायरी
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(9)
सलवार सूट पर मुझे
छोटी सी बिंदी पसंद हे
मुझे अपनी जान से ज्यादा
तू पसंद हे
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(10)
तेरे कानो में झुमके आंखो में काजल
और माथे की बिंदी कमाल लगती हे
पर तुम जब भी चलने हो अपनी नजर
झुकाकर तब बवाल लगती हो
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(11)
तुझे देखकर हम दीवाने हो गए
तेरी मुस्कान बेमिसाल हे
तेरे माथे पर लगी बिंदी ने
कुछ ऐसे फेंका हम पर जाल हे
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(12)
सांवली सी सूरत हे मगर
मुझे उसकी बिंदी पसंद हे
हा मुझे उनसे ज्यादा उनकी
मुस्कराहट पसंद हे
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(13)
चमकती माथे पर लाल रंग की बिंदी
न जाने कितने सवाल कर गई
देखा उनकी आँखों में कुछ देर
उनकी नशीली आंखे बवाल कर गई
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(14)
इश्क के नशे की लत में
हमने खुद को तब डुबोया था
जब उसने गुलाबी कुर्ता पीला दुपट्टा
लबों पे लाली और माथे को बिंदी से सजाया था
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(15)
में तुम्हारी जुल्फों में खुद को
खोना चाहता हु
शृंगार बिंदी का किया हे जो तुमने
में बिंदी के साथ गजरे भी लाना चाहता हु
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(16)
तुम वफ़ा का वादा करो
हम रूठने पर आपको मना लेंगे
आखिर वक्त कितना लगता हे
बाल खोलकर बिंदी लगाने में
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(17)
में तेरे माथे में बिंदी और
आँखों में काजल लगाना चाहता हु
तेरे प्यार की बारिश में खुद को
भिगोना चाहता हु
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(18)
तुम्हारी बिंदी तो मासूम थी
जो सिर्फ इशारे करती थी
पर ये कम्बख्त झूमखे तुम्हारे
ये तो आवाज देखर बुलाते हे
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(19)
माथे पर एक बिंदी और
उस पर थोड़ा सा कुमकुम
इस सुंदरता के आगे
सारे जवाहरात हे गुमसुम
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माथे की बिंदिया पर शायरी
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(20)
सजते संवरते वक्त माथे को सजा देती हु
हां में अक्शर बिंदी लगा देती हु
ना पसंद हे मुझे आँखों में काजल लगाना
हा पसंद हे मुझे छोटी सी बिंदी लगाना
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(21)
हो जाओ जितना तुमको
तैयार होना हे पर मेरी
एक काली बिंदी के आगे
तुम पीछे ही रहोंगे
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(22)
क्या गजब का कहर ढहाती हो
जब आप बिखरे बालो में
अपने माथे पर काली बिंदी
लगाती हो
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(23)
आज खुद को सजाकर वो मेरे
सामने आई हे जैसे कोई चाँद जमीन पर आया हे
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(24)
ये झूमखे , ये काजल , ये बिंदी , ये कंगन
आईने में देख कुछ तो कम था
जब उसकी आँखों में देखा खुद को
तो बिन शिंगार भी नूर था
(25)
जब सफ़ेद साड़ी पर लाल बिंदी लगाती हो
कसम से तुम एम्बुलेंस सी नजर आती हो
वो तो घायलों को लेकर जाती हे
और तुम तो घायल हमें करके जाती हो
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बिंदी २ लाइन शायरी
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(26)
चाहे जितना ही तैयार हो जाऊ में
पर तेरी एक बिंदी सामने पीछे ही रह जाऊंगा
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(27)
कल क्या उसकी बिंदी का कम कहर था
जो आज वो कानो में झुमके भी पहन के आ गई
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(28)
उसने अपने माथे पर बिंदी कुछ ऐसे लगाई हे
जैसे दिन की रौशनी में कोई चाँद निकल आया हे
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(29)
आज माथे पर बिंदी लगाकर आई हे वो
लगता हे बहुत दिनों के बाद खुद को सजा कर आई हे
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(30)
बिंदी , काजल , गजरा फलक से सजी आ रही हो
मुझको तो छोड़ा था सिगरेट की ख़ातिर और
इस शराबी के साथ जा रहे हो
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(31)
जब तुम अपने माथे पर बिंदी लगाती हो
तब तुम पहले से भी ज्यादा सुन्दर लगती हो
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(32)
तेरे माथे पर लगी वो छोटी काली बिंदी
चाँद पर लगी किसी जरुरी दाग की तरह हे
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” पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “