हेल्लो दोस्तों आपका दिल से स्वागत हे। तो आज किसान का योगदान ( महत्व ) क्या हे ? इसके बारे में बात करने वाले हे किसान हे तो हम हे किसान ही हे जो अनाज , फल , सब्जी को पैदा करता हे वो बीज बोते हे रात या दिन में अपनी फसलों की देखभाल करते हे और पुरे देश में अनाज की पूर्ति करते हे इसलिए किसान का योगदान हमारे लिए कम नहीं हे हर साल किसान को सन्मान मिले इसलिए 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता हे। Kisan ka mahatva
किसान का महत्व
आप सभी जानते हे की भारत एक कृषि प्रधान देश हे जिनकी अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि हे कृषि कर्म ही जिनके जीवन का आधार हे वो हे किसान , जो अपने पुरे जीवनकाल के दौरान मिट्टी में से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता हे यानिकि किसान दिन हो या रात, बारिश हो या धुप फिर भी अपने खेत में काम करता रहता हे और अनाज पैदा करता हे यानिकि किसान का योगदान हमारे लिए किसी ईश्वर से कम नहीं हे। Essay On Farmer In Hindi
हमारे देश में करीबन 70 % लोग गांवों में रहते हे जिनका मुख्य व्यवसाय खेती यानिकि कृषि हे इसलिए महत्मा गांधीजी भारत के गावो को भारत की आत्मा और भारतीय संस्कृति को कृषभ संस्कृति कहते थे।
किसान का जीवन
त्याग, महेनत और तपस्या का दूसरा नाम ही किसान हे जो हर एक मौसम में , ठंडी में , बारिश में धुप में भी मिट्टी में से सोना यानिकि अनाज पैदा करता रहता हे किसान की कृषि ही शक्ति हे और यही उनकी भक्ति हे। किसान डे शायरी
किसान का मुख्य आधार खेती हे वो हर रोज सुबह अपने खेत में चले जाते हे और फसलों को देखभाल करते हे फसलों की जरूरियात पूरी करते हे उन्हें खतरों से बचाते हे यानिकि वो फसलों को अपने सन्तानो की तरह देखभाल करते हे बारिश की वजह से या फिर कुदरती आपदा की वजह से नुकशान होने का चांस ज्यादा होता हे फिर भी किसान अपनी महेनत को दाव पर लगाकर खेती करता हे।
अगर किसान नहीं होते तो हमारे लिए फसलों को खेती करने वाला कोई नहीं होता हमें ही खेती करनी पड़ती यानिकि किसान हे तो ही हम हे।
आज का किसान
आज हमारे देश में किसान अपना परिश्रम और त्याग देखर हमे अनाज , फल , सब्जी आदि दे रहा हे लेकिन उसके बदले ने उनको पारिश्रमिक भी नहीं मिल पा रहा हे और ऐसे किसान जब आत्महत्या करते हे तब हमें कुछ परवा नहीं हे यानिकि किसान की आत्महत्या सिर्फ अखबारों की खबर बनकर रह जाती हे। जब एक किसान मर जाता हे तब हम उनके परिवार का हाल नहीं समझते हे इसलिए आज खेती करने वाले कम होते जा रहे हे और खाने वाले बढ़ते जा रहे हे इसलिए आज बाजार में क़ीमत बढ़ने के साथ – साथ मिलावट भी बढ़ती जा रहे हे और ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सालो में हम हमारे पैरो पर ही कुल्हाड़ी मार रहे हे।
आज जमीन की क़ीमत ज्यादा होती जा रही हे और किसान की कीमत कम होती जा रही हे यानिकि जमीन की बढ़ती कीमतों के बावजूद भी हम घर बनाते रहे तो फिर हम खाएंगे क्या ? इसलिए कोई किसान अपने बेटे को किसान नहीं बनाना चाहता जिसकी वजह से आने वाले पेढ़ी के लिए खेती सिर्फ किताबो में ही दिखेंगी। एक समय था जब किसान हिम्मत से अपना जीवन व्यतीत करता था लेकिन अब सिर्फ डर में जी रहा हे पानी न मिलने के डर से फसल बोने से डरता हे , पानी मिल जाये तो फसल न काट पाने का डर और काट ले तो उसे सुरक्षित रखने का डर और किसान के इन्ही डर की वजह से किसान अपनी फसलों को कोटियों के दान पर बेचते जा रहे हे और खरीदार आदमी किसान से उन्ही फसलों को निचे दामों में खरीदकर दस गुना में बेचते हे यानिकि खाना उगाने वाला किसान सब खो रहा हे और खाने वाला यानिकि हम , हम भी हार रहे हे जिसका मुख्य कारण ये हे की आज कोई भी इंसान किसान से कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहते हे। किसान महेनती होने के साथ – साथ अपना सादा जीवन व्यतीत कराता हे
किसान की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी की नहीं हे बल्कि हम सबकी हे क्योकि किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्ड़ी हे।
खेती से हमारा रिश्ता
चाहे बड़ा हो छोटा ,चाहे अमीर हो या गरीब यानिकि इस धरती पर रहने वाला हर एक आदमी का खेती से रिश्ता हे। बड़े – बड़े पकवान खाने वाले अमीरो से लेकर रोटी और वाले गरीब तक खाना खाने वाले हर एक इंसान का खेती से रिश्ता हे लेकिन आज के ज़माने में हम सब उस खेती करने वाले किसान से रिश्ता तोड़कर जीते हे जो हमारे लिए खेती करता हे। इंसान और धरती के बिच का एक खूबसूरत रिश्ता हे खेती ” एक ऐसा विज्ञानं हे जिसे वैज्ञानिक भी समझ नहीं सकते वो बस एक किसान ही समझ सकता हे। farmer day
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” पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद “