इल्जाम शायरी हिंदी में
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जान कर भी वो हमें जान न पाए 😰
आज तक वो हमें 👩 पहचान न पाए
खुद ही कर ली बेवफाई 💔हमने
ताकि उन पर कोई इल्जाम न आ पाए ।
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हर बार इल्जाम 👦 हम पर ही लगाना
ये ठीक बात नहीं 👎 हे
वफ़ा खुद से नहीं होती
और खफा हम पर होते हो।
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खुद 👧 न छुपा सके वो
अपने चहरे नकाब में
बेवजह ही हमारी आँखो 👀
पे इल्जाम लग गया।
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तुम ने लगा दिया इल्जाम -ए -बेवफा वह
अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी। 😓😓
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हर इल्जाम का हक़दार वो हमें बना जाते है
हर खता की सजा वो हमें सुना जाते है
और हम हर बार खामोश 😌 रह जाते है जाते है।
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इलज़ाम शायरी
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उदास जिंदगी उदास वक्त उदास मौसम
कितनी चीजों पे इल्जाम लगा है तेरे न होने से।
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उदास जिन्दगी उदास वक्त
उदास मौसम कितनी चीजो पे
इल्जाम लगा है तेरे ना होने से।
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दिल -ए -बर्बाद का में तुझे इल्जाम नहीं देता
हा अपने लफ्जो में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ
लेकिन तेरा नाम नहीं लेता।
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बेवफा तो वो खुद थी
पर इल्ज़ाम किसी और को देती है
पहले नाम था मेरा उसके लबों पर
अब वो नाम किसी और का लेती है
कभी लेती थी वादा मुझसे साथ न छोड़ने का
अब वही वादा किसी और से लेती है।
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दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ
दिल में दर्द नहीं, उसकी यादें हैं
अब यादें ही दर्द दे तो उसे इल्ज़ाम क्या दूँ।
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है कर कबुल क्या कर ली सजाए मेने जमाने दस्तूर
ही बना लिया हर इल्जाम मुझे पर मढ़ने का।
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जहर देने वाले कई है दवाई देने वाले मै खुद
को गलत क्यों न ठहराउ कोई है ही नहीं
मेरे हक़ में गवाही देने वाले।
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लफ्जों से इतना आशिकाना
ठीक नहीं है ज़नाब
किसी के दिल के पार हुए
तो इल्ज़ाम क़त्ल का लगेगा।
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बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने
की इल्जाम झूठा ही सही पर लगाये तो मेरे अपने है।
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मुझे इश्क हे बस तुमसे नाम बेवफा मत देना
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना जो दिया है।
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मोहब्बत तो दिल से की थी
दिमाग उसने लगा लिया
दिल तोड़ दिया मेरा उसने
और इल्जाम मुझपर लगा दिया।
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बहुत दर्द भरा है दिल ना जाने किस को बयान
दो मंजिल रुसवा हो जाएंगी अगर मंजिल पर ध्यान ना दो।
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हमारा जिक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ दिनों की बात है
महफ़िल की आबरू हम थे ख्याल था की ये पथराव रोक दे
चल कर जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।
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जा के कोई कह दे शोलो से चिंगारी से फूल इस बार
खिले है बड़ी तैयारी से बादशाहो से भी फेके हुए
सिक्के ना लिए हमने खैरात भी मांगी है तो खुदारी से।
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हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है
हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है
हम हर बार चुप रह जाते है
क्योंकि वो अपना होने का हक जता जाते है।
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मेरी तबाही का
इल्ज़ाम अब शराब पर हैं
मैं और करता भी
क्या तुम पे आ रही थी बात।
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सबको फ़िक्र हे
अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिंदगी नहीं इल्जाम है।
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भरोसा तोड़ने वाले के लिए
बस यही एक सजा काफी है
उसको जिंदगी भर की
ख़ामोशी तोहफे दे दी जाए।
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मेरी आँखो में छुपी उदासी को कभी
महसूस तो कर हम वो है जो सब को
हँसा कर रात भर रोते है।
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मौका छोड़ते नहीं ये कुछ अपने
एहसान जताने पर सजा नहीं
इसलिए सोचते नहीं ये इल्जाम
लगा ने पर।
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आज तक वो मुझे जान कर भी
मुझे जान न पाए
पहचान न पाए खुद ही कर ली बेवफ़ाई हमने
ताकि इनपर कोई इल्जाम न आये।
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मुझे इल्जाम मत देना बेवफाई मेने
नहीं की हे
मेरा अश्क मेरा सबूत हे और मेरा गवाह
मेरा दर्द है।
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लगा दो कोई इल्जाम वो भी रह गया हो तो
पहले हम थोड़े बुरे थे अब थोड़ा और
बना दो।
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पता कुछ भी नहीं दुनिया को
हकीकत का
इल्जाम हजारो हे और खता
कुछ भी नहीं।
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कुछ बेवजह इल्जाम हे
कुछ बेवजह साजिसे
दर्द बस अपने दे रहे हे
वह बेवजह बदनाम है।
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कोई सफाई नहीं दी हमने बस
यही सोंचकर
की इल्जाम झूठे ही सही पर
लगाए तो तुमने है।
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