नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत हे तो आज हम बात करने वाले हे की हमारे जीवन में प्रेम का महत्व क्या हे? प्रेम की भूमिका क्या हे? तो प्राचीन काल में प्रेम को सर्वर्शेष्ठ साधना माना जाता हे जहाँ प्रेम होता हे वहां न क्रोध होता हे न नफ़रत होती हे न स्वार्थ होता हे न मतलब होता हे बस प्रेम ही प्रेम होता हे तो दोस्तों मुझे उम्मीद हे की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आएंगी। ( Prem Ka Mahtv )
प्रेम क्या है?
प्रेम ही एक ऐसा धागा हे जो पूरी दुनिया को आपस में जुड़े रखता हे प्रेम ईश्वर के द्रारा दी गई एक अनमोल भेट हे यानिकि प्रेम ही ईश्वर हे और ईश्वर ही प्रेम हे। प्रेम के स्वरुप में ही ईश्वर सभी प्राणियों सभी जिव जन्तुओ सभी इंसानो के हदय में रहते हे प्रेम एक समर्पण हे किसी को पाना प्रेम नहीं हे बल्कि उसमे खो जाना प्रेम हे। भूख मिटाना प्रेम नहीं हे लेकिन भूख का मिट जाना प्रेम हे। जरूर पढ़िए प्रेम क्या हे ?
प्रेम सर्वोपरि हे हे यानिकि प्रेम हर एक समय में हर एक चीज में प्रेम शामिल हे जैसे किसी को धन से प्रेम हो , किसी को किसी चीज से प्रेम हो , किसी से जानवर से प्रेम हो , किसी को पक्षियों से प्रेम हो , किसी को तन से प्रेम हो , किसी को आत्मा से प्रेम हो यानिकि प्रेम सर्वोपरि हे यानिकि हर जगह प्रेम ही प्रेम हे।
हमारे जीवन में प्रेम का महत्व – Prem Ka Mahtv
प्रेम के बिना हमारे जीवन का अस्तित्व ही नहीं हे प्रेम इंसान को स्वार्थ त्यागकर परोपकार के लिए प्रोत्साहित करता हे प्रेम से ही आप एक दूसरे को अच्छी तरह से जान सकते और एक दूसरे को समझ सकते हे यानिकि दो आत्माओ का मिलन ही प्यार हे प्रेम की भावना से ही आज एक इंसान दूसरे इंसान की सेवा , मदद करता हे प्रेम के कई अलग – अलग स्वरुप होते हे जैसे की भाई – बहन का प्रेम , पति – पत्नी का प्रेम , दोस्त का प्रेम , प्रेमी – प्रेमिका का प्रेम लेकिन इन सभी प्रेमो में जगह और वक्त के अनुसार इन प्रेमो का स्तर बदलता रहता हे यानिकि प्रेम तो वही रहता हे बस उसके मायने बदल जाते हे।
दुनिया में प्रेम ही एकमात्र ऐसी चीज हे जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता जबकि कई लोग प्रेम को धरती का आरम्भ और अंत भी कहते हे और इतना ही नहीं बल्कि कई कवी प्रेम को सर्वोच्च गुण की उपाधि भी दे चुके हे।
प्रेम ही भक्ति हे और प्रेम ही शक्ति हे प्रेम ही जिसके द्रारा आप ईश्वर तक पहुंच सकते हे और सभी धर्मो में भी प्रेम को ही ईश्वर तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग बताया हे संत कबीर के अनुसार प्रेम वो चीज हे जिसे ना पैदा किया जा सकता हे और ना ही प्रेम को मारा जा सकता हे और ना ही धन के द्रारा उसे ख़रीदा जा सकता हे जबकि कालिदास के अनुसार प्रेम दो आत्माओ का मिलन हे जब दो आत्माओ का मिलन होता हे तब प्रेम का भाव का जन्म होता हे।
जहाँ निस्वार्थ प्रेम होता हे वहां आनंद – आनंद ही रहता हे प्रेम के बिना क्या हमारा जीवन शक्य हे नहीं ना इसलिए अक्शर ऐसा कहा गया हे प्रेम ही जीवन हे श्रद्धा , भक्ति , ममता , करुणा , स्नेह ये सब प्रेम के स्वरुप हे प्रेम वो हे जिसमे निस्वार्थ होता लेकिन आज के समय में ज्यादातर प्रेम में स्वार्थ ही दिखने को मिलता हे जो निस्वार्थ प्रेम को विकृत बना देता हे।
जहाँ प्रेम होता हे वहाँ कोई दुर्गुण ठहर ही नहीं सकता हे यानिकि जहा प्रेम हे वहा स्वार्थ नहीं हे जहाँ प्रेम हे वहां मतलब नहीं हे जहाँ प्रेम हे वहां धोखा नहीं हे जहाँ प्रेम हे वहां लेने की भावना नहीं हे बस प्रेम ही प्रेम हे। प्रेम सभी गुणों का राजा हे।
प्रेम के बिना इंसान पाषाण समान हे जबकि जिसके पास प्रेम हे वो हमेंशा दुसरो की सेवा मदद करता हे प्रेम में वो शक्ति होती जो हमारे जीवन को सुन्दर बना देता हे।
आज के समय में इंसान के अंदर प्रेम की भावना , प्रेम की न्यूनता की वजह से संवेदनशीलता ख़त्म हो चुकी हे जिसकी वजह से आज इंसान जानवरो के प्रति , पक्षियों के प्रति प्रेम दिखाना चाहिए वो नहीं दिखाते बल्कि प्रेम की कमी की वजह से इंसान मासूम जानवरो , पक्षियों को अपने स्वार्थ के लिए , अपने स्वाद के लिए तड़पा – तड़पा कर उनको मारता हे।
जो निस्वार्थ के साथ प्रेम करते हे वो ही प्रेम हे जिसमे कोई स्वार्थ नहीं होता हे जैसे की एक बच्चे के प्रति एक माँ का प्रेम , एक पुत्र के प्रति एक पिता का प्रेम , एक बहन के प्रति भाई का प्रेम जो निस्वार्थ से होता हे एक माँ अपने संतानो के लिए अपना तन , मन , धन और अपना पूरा जीवन अर्पित कर देती हे। इसको को सच्चा प्रेम करते हे। हमारे जीवन में माँ का महत्व
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” पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “