प्यार में धोखा शायरी 

प्यार में धोखा शायरी 

 गुजरती है जो हमारे दिल पर वो जुबा पर लाकर क्या होगा समझाकर भी जो न समझे उसे समझाने से क्या होगा 

अपनो ने ही सिखाया है जनाब की कोई अपना नहीं होता

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मतलब भरी दुनिया में कौन किसका अपना है जिन पर भरोसा करो वही सबसे पहले धोखा देता है 

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नसीब से भी ज़्यादा भरोसा तुम पर था लेकिन नसीब इतना नहीं बदला जितना तुम बदल गए 

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वक्त - वक्त की बात है कौन किसका होता है धोखा अक्शर वही देता है जिन पर हमें भरोसा होता है 

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अब दे चुके हो सज़ा तो हाल न पूछना हमें अगर बेगुनाह निकले तो बहुत अफ़सोस होगा तुम्हे 

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 लोग प्यार में धोखा इसलिए भी खा रहे है क्योकि दिल की जग़ह लोग जिस्म को चाहने लगे है 

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साथ चलने की बात हुई थी और तुम तो मेरे से भी कई आगे निकल गए हो 

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तुम भी आईने की तरह निकले जो सामने आया उसी के हो गए 

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