नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत है तो आज हम बात करने वाले है की हमारे जीवन में असली ख़ुशी क्या है? आज इंसान जो भी काम करता है वो बस ख़ुशी पाने के लिए ही करता है यानिकि इंसान ख़ुशी के तलाश में इधर – उधर भटकता रहता है किसी को नए कपडे मिलने पर ख़ुशी मिलती है तो किसी को अपनी मनपसंद चीज मिलने पर ख़ुशी मिलती है यानिकि हर एक इंसान अपनी मनपसंद चीज वस्तु या इंसान में अपनी ख़ुशी ढूंढता है लेकिन खुश भीतर है बहार की चीजों में नहीं।

असली ख़ुशी क्या है – Asli Khushi Kya Hai
हमने ये तो जान लिया की हमारे जीवन में ख़ुशी का क्या महत्व है लेकिन क्या हमें ये पता है की हमारे जीवन में असली ख़ुशी क्या है? क्या कोई ऊँचा पद प्राप्त कर लेना असली ख़ुशी है? क्या सबसे बड़ी सम्पति का मालिक हो जाना असली ख़ुशी है? क्या मन चाहे सपने को पूरा कर लेना असली ख़ुशी है? क्या दुनिया को अपना कर्जदार बना लेना असली ख़ुशी है? तुम्हारे पास दुनिया की सभी सुख – सुविधाएं है क्या ये असली ख़ुशी है तो आखिर हमारे जीवन में असली ख़ुशी क्या है? हमारे जीवन में ख़ुशी क्या है?
अगर मान लीजिये की आपने अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर ली आप स्वयं को सर्वश्रेस्ठ मानते हो और ईश्वर को गौण, लेकिन मुझे एक बात बताओ की क्या तुम इस सभी सुख – सुविधाओं से तिल भर की सुख – शांति का चिराग भी अपने मन में जला सकते हो नहीं ना क्योकि पद , वैभव और सभी सुख सुविधाएं दीर्घकाल तक हमारा साथ नहीं दे सकते और जो चीज हमारे दीर्घकाल तक साथ नहीं दे सकती वो हमें असली ख़ुशी कैसे दे सकती है।

किसी भी इंसान के पास या फिर तुम्हारे पास जो भी पद, वैभव, दुनिया की सबसे बेहतरीन सुख सुविधाएं मौजूद है तुम्हारे पास जिस चीज वस्तुओ का संग्रह है ये सब बस उसी की ही कृपा है जिसे तुम गौण समझ रहे हो जिसे तुम अस्तित्वहित समझ रहे हो ये बस उसी की ही कृपा हे की तुम्हारे पास संसाधन, सुविधाएं और शुभ अवसर है और उसने ये सब दया, परोपकार और लोक कल्याण के लिए ही तुम्हे दिया है।
किसी भी इंसान के पास सुख सम्पति है तो उस इंसान को अपने रब का आभार मानना चाहिए की रब ने उसे उस सम्पति का उस धन का उस पद का स्वामी बनाया है ताकि स्वामी बनाकर आप संग्रही ( भिखारी ) न बनकर स्वामी बने रहे और अपने आगामी जीवन को एक सफल जीवन बना सको।
जो कोई भी इंसान दान देता है वो दानी है और जो दानी है वही दाता है और दाता ही विधाता है दाता दान, पुण्य, परोपकार की भावना, दया, अनुकंपा, सहायता, सहयोग से कालजयी होता रहता है और ऐसा ही इंसान जीवन में असली खुशिया प्राप्त करता है ऐसा ही इंसान सर्वत्र आनंद ही आनंद खुशिया ही खुशिया बटोरता है और खुशियों का आदान प्रदान करता है।
जबकि कई इंसान संग्रही ( भिखारी ) बनकर अपने जीवन में संग्रह – मद के भंवर में फसकर ( टुबकर ) हमेंशा के लिए कुचिंतित व कृत्सित विचारो से जिव जगत का अहित करता है प्रकृति का अहित करता है और सभी लोगो की बद्दुआओ का शिकार बनकर वो अपने भविष्य के जन्मो के पुण्य फल से वंचित रहता है आसक्ति और पैसे के चंगुल में फ़सकर वो ना ही तो ढंग से कुछ खा पाता है और ना ही कुछ पि पाता है और ना ही वो चैन की नींद सो पाता है। ऐसे इंसान को हर पल खौफ डरता रहता है ऐसे इंसान को अच्छाई में भी बुराई ही नजर आती है।
एक बात को अच्छी तरह से समझ लो की जब इस दुनिया के सभी पद और सुख सुविधाएं अस्थायी है तो ऐसी चीज वस्तुए से प्राप्त ख़ुशी, सुख ऐसे पद से मिला सुख, शांति, ख़ुशी स्थायी कैसे हो सकते है और अगर कोई इंसान ऐसा कहता है की उसके पास संसार की सभी सुख सुविधाएं है तो वो असली ख़ुशी खरीदकर दिखाओ, सदैव आनंद में रहकर बताओ, अपनी मौत को वश में करके दिखाओ ऐसा कोई नहीं कर सकता क्योकि ये सब तो ईश्वर की श्री चरणों में है।
आज तुम्हारे पास जो भी वैभव, सुख शांति और सुविधाएं मौजूद है व अस्थायी है लेकिन सच्ची शांति, सच्चा सुख, और असली ख़ुशी तो केवल और केवल ईश्वर के चरणों में ही है हमारे भीतर में ही जो ख़ुशी हमें बहार की चीजो से मिलती है उनसे कई ज्यादा अधिक ख़ुशी हमें भीतर से मिलती है जो असली ख़ुशी है।
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” पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “