बादलो पर शायरी
***********
****************
आँखों से होती हे खता
और सज़ा दिल को मिल जाती हे
बरसते हे बादल और ख़ुशी
इश्क करने वालो को मिल जाती हे
************
तारे भी चमकते हे और
बादल भी बरसते हे
एक तुम ही हो हमारे दिल में
फिर हम मिलने के लिए तरसते हे
*************
************
जब तड़पेगी तू प्यास से
तुझे वो बादल याद आएगा
जब छोड़ जायेगा वो तुझे
तब तुझे ये पागल याद आएगा
*************
कितना अधूरा लगता हे जब
बादल हो और बरसाद न हो
जब ज़िन्दगी हो और प्यार न हो
और जब कोई अपना हो और पास न हो
*************
*************
ये आंखे हे कोई बादल थोड़ी हे
हम इश्क में हे पागल थोड़ी हे
और मरहम ले आये हु तुम जिक्र के बाद
अरे अब यहाँ कोई घायल थोड़ी हे
************
अभी बहुत कुछ सीखना बाकि हे
ज़िन्दगी में कई इम्तिहान बाकी हे
ये जो हासिल हुआ हे मुकाम वो सिर्फ बादल हे
अभी जितने को तो सारा आसमान बाकि हे
************
*************
तराशा हे उनको बड़ी फुर्सत से
जुल्फे जो उनकी बादल की याद दिला दे
नज़र भर देख ले जो वो किसी को
नेकदिल इंसान की भी नियत बिगड़ जाये
***********
बादल के लिए शायरी
***********
बहुत देर तक अक्शर आसमान देखता हु
में उस चाँद में सनम का पैगाम देखता हु
जब बादल गुजरता हे आसमान में
तड़प कर उस तरफ दूर तक तेरे अरमान देखता हु
************
तेरी आँखों का में काजल बन जाऊ
जी करता हे कभी – कभी बादल बन जाऊ
जब तक ना देखु तुझे चैन नहीं आता मुझे
तमन्ना हे तुझे देखते – देखते पागल बन जाऊ
************
**************
आओ कभी हमारे शहर में भी
यहाँ हर रोज बरसाद होती हे
कभी बादल बरसते हे तो
कभी हमारी आंखे बरसती हे
***********
**************
इतना भी क्या ग़म हे
की तू इतना तड़प रहा हे
ए बादल ज़रा तो ठहर
तू क्यों इतना बरस रहा हे
*************
तुझे याद करके रोया हे ये दिल
बादल बनकर बरसी हे ये आंखे
सूरज की किरण सी काम कर जाएगी एक झलक तेरी
उस झलक की आस लगाए बैठा हे ये दिल
**************
बादलो से कहा आज मैंने
बड़ी देर लगा दी आने में
सागर थोड़ी ही माँगा था
बूंदो सी प्यार बुझाने में
*************
जब देखता हु आसमान की तरफ
तब दिखता हे अपना खाली जीवन
लेकिन कभी कोई मेरी ज़िन्दगी में भी आएगा
जैसे आसमान में आते हे बादल
************
*************
हर श्याम बरसते तेरी यादो के बादल
उस वक्त कोई हिजर का कोई तारा भी नहीं होता
यु ही मेरे पहलू में चले आते हे अक्शर वो दर्द
जिन्हे मैने कभी पुकारा ही नहीं हे।
**************
कभी पहाड़ो पर ठहरे
तो कभी घूमते आकाश में हे
ये आवारा बादल भी
किस की तलाश में हे
*************
चाँद के बिना चांदनी नहीं होती
बादल के बिना बरसाद नहीं होती
वैसे तो ज़िन्दगी जी लेते हे सब लेकिन
माँ के बिना ज़िन्दगी – ज़िन्दगी नहीं होती
*************
आप मेरे लिए एक बादल की तरह हो
जब भी सूरज मेरी आँखों में चुभता हे
तुम बादल की तरह मेरे सामने आ जाते हो
************
किसका चहेरा अब देखु
चाँद भी देखा फूल भी देखा
बादल बिजली तितली जुगनू
कोई नहीं हे ऐसा तेरा हुश्न हे जैसा
**************
आज दिल करता हे की में भी
बादल बनकर बरस जाऊ
तू भीग जाये मुझमें और में
सिर्फ तुझ में खो जाऊ
************
बादल शायरी इन हिंदी
***********
कभी ऐसा भी हो जाये
तो क्या बात हो जाये
में धरती सा तुम्हारे लिए तड़प जाऊ
और तुम बादल बनके मुझ पर बरस जाओ
*************
कोई दीवाना कहता हे तो
कोई पागल समझता हे मगर
धरती की बेचैनी को बस
बादल समझता हे
में तुझसे दूर कैसा हु
तू मुझसे दूर कैसी हे ये बस
तेरा दिल समझता हे या
मेरा दिल समझता हे।
*************
बादल 2 लाइन शायरी
*************
सूरज भी आज बादलो में खो पड़ा हे
किसान की हालत देखर आज बादल भी रो पड़े हे
*************
**************
आज फिर लड़ाई हो गई हे बादल से
आज फिर बारिश ज़मीन पर आ गई हे
**************
हर एक तरफ फैला हुआ हे बारिश का पानी
बादल ने भी की हर तरफ महेरबानी
**************
कोहरे के बादल की तरह चला जाऊंगा तुम्हारी ज़िन्दगी से
ओस की बूंदो को समेटने से बादल नहीं बनते
**************
बादलो से भी ऊँची उड़ान उसकी थी
सबसे अलग लेकिन पहचान उसकी थी
**************
**************
बादलो का गुमान नहीं की वो बरस गए
दिल हल्का करने का हक़ तो सबका हे
**************
खिड़की की बहार का मौसम बादल , बारिश और हवा
खिड़की के अंदर का मौसम आंसू , आहें और दुआ
***************
जिस शख्स ने बहाये हे आँखों में बादल के आंसू
उस शख्स के लिए भी दिल से दुआ निलती हे
**************
ए बादल तुम आंखे ले लो मेरी
कसम से बड़ी माहिर हे बरसने में
**************
ए बादल आज तो तू बरस जा
कुछ तो मुझ पर तरस खा
*************
**************
आज धरती फिर से नम हे
लगता हे आज बादल फिर से बरसने वाले हे
****************
आसमान में बादलो की तरह बिखर गए हो
कही धुप तो कही बादल जैसे बिखर गए हो
***************
अगर बादल की तरह एक दफ़ा बरसो तुम
तो में भी बिन छतरी भीगने जाऊ
**************
बादलो जैसा इश्क था उनका
थोड़ा बरसा और रुक गया
***************
” पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद “