नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत हे तो आज हम बात करने वाले हे की प्राचीन समय ( काल ) में लोग कैसे रहते थे? या फिर प्राचीन समय में लोगो का जीवन कैसा था? आप सभी लोग जानते ही हे की प्राचीन समय में लोग पढ़े – लिखे नहीं थे लेकिन फिर भी उनके वर्तन में, व्यव्हार में, वाणी में, उनके भाव में हमें सिर्फ प्रेम ही दिखाई देता था यानिकि प्राचीन समय में लोगो के पास दिल बड़े थे जबकि आज के समय में लोगो के पास दिल नहीं दिमाग बड़े होते हे , तो दोस्तों आज हम इसी विषय पर बात करने वाले हे मुझे उम्मीद हे की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद होगा।
प्राचीन समय के लोग
आज के समय में इंसान का जीवनकाल करीबन 60 से 70 साल के आसपास तह का ही होता हे जबकि प्राचीनकाल में कोई भी दवाएं, चिकित्सकीय तकनीक उपलब्ध नहीं थी फिर भी वो लोग 100 साल या उनसे अधिक सालो तक जीवित रहते थे जबकि की आज के समय में सभी दवाएं, तरह – तरह प्रकार की चिकित्सकीय तकनीक उपलब्ध हे फिर भी इंसान पहले से कम साल तक जीवित रहता हे जिसकी मुख्य वजह हे उनकी दिनचर्या होती हे।
ऋषि मुनियो की दिनचर्या
आप सभी लोग जानते हे की प्राचीन समय में ऋषि मुनि एकांत में ध्यान साधना करते रहते हे यानिकि उनका समय ज्यादातर एकांत में व्यतीत होता हे और दूसरी बात की ऋषिमुनि पहाड़ो में घने जंगलो में, नदियों के आसपास रहते थे। ऋषि मुनि सुबह करीबन तीन बजे उठने के बाद वो स्त्रान करने वाल वो ध्यान में बैठ जाते हे जिसकी वजह से सुबह की शुद्ध प्राणवायु का संचार होता हे और दूसरा सुबह ऊर्जा का भी संचार होता हे जिसकी वजह से बुद्धि तेज होती हे और हमारी इम्युनिटी सिस्टम काफी मजबूत बनती हे जिससे कोई भी रोग और बीमारी हमसे दूर ही रहते हे और हमारी आयु भी लम्बी होती हे। हमारे जीवन में फलो का महत्व
उसके बाद ऋषि मुनि फलो का सेवन करते थे सुबह के खाये हुए फल काफी पौष्टिक होते हे जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेकारक साबित होते हे। उसके बाद वो वेदो का अध्ययन करते हे उसके बाद थोड़ा आराम और फिर से वेदो का अध्ययन करते हे और श्याम के दौरान फिर से स्त्रान करके ध्यान करते हे और रात के समय भोजन में सिर्फ गाय के दूध का ही सेवन करते हे।
राजा महाराजा की दिनचर्या
एक राजा का काम लोगो की सेवा करना, अपने राज्य की रक्षा करना, अपने राज्य की व्यवस्थित रखना होता हे लेकिन फिर भी राजा महाराजा अपनी दिनचर्या को फॉलो करते थे। वो सुबह चार बजे जाते थे उठने के बाद वो स्त्रान करते थे उसके बाद वो योग ध्यान प्राणायाम आदि में लग जाते थे ये क्रिया करीबन दो घंटे तक चलती थी उसके बाद आठ से नव बजे वो फलो का भी काफी सेवन करते थे और फिर दस बजे राज सभा में बैठते थे और अगर राज्य सभा में न बैठते तो युद्ध लड़ने का अध्ययन करते थे जिससे की वो अपनी कला को और भी बहेतर बना सके युद्ध में निपुणता हासिल कर सके उसके बाद वो भोजन करते हे फिर कुछ देर तक आराम करते और फिर शास्त्रों का अध्ययन करते और श्याम के दौरान फिर से युद्ध का अध्ययन करते थे। और रात के भोजन में हल्का भोजन लेते थे और सो जाते थे।
प्राचीन लोगो को दिन चर्या समझे वीडियो के माध्यम से
प्राचीन समय के लोगो की विशेषताएं
प्राचीन समय के लोगो में आध्यात्म भावना का बहुत ही ज्यादा प्रचलन था
प्राचीन समय में लोग सुबह जल्दी उठना पसंद करते हे।
अगर हम भोजन के बारे में बात करे तो प्राचीन लोगो का भोजन ज्यादातर फल, सब्जी, मांस, दूध, मक्खन थे
इस लोगो को जहा भी जाना था ये चलके जाया करते थे जिसकी वजह से उनका शरीर काफी मजबूत होता था।
प्राचीन लोग एकता की भावना से रहते थे।
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