हिन्दू – मुसलमान की कहानी – New Hindi Motivational Story 2020
एक छोटा सा शहेर था। उस शहेर में कुछ घर हिन्दु के थे और कुछ घर मुसलमान के थे। वहां पर एक मोहल्ले में हिन्दु और मुसलमान का घर था। वहां पर एक हिन्दु का लड़का और मुसलमान का लड़का वो दोनों पक्के दोस्त थे। वो दोनों ही रसोई बनाने में मास्टर थे। वह दोनों दोस्त खाना पकाने का जहासे औडर आते हे वहां पर जा के खाना पकाते हे। और लोगों को खुश करते हे। वो दोनों दोस्त अलग-अलग तरीके के खाना बनाते थे। जो हिन्दु था वो दाण, भात ,शाक ,पूरी जैसे खाना पकाते थे। और मुसलमान था वो मास-मच्छी और बिरियानी जैसा खाना बनाते थे। उन दोनों को ही रसोई का मास्टर मानने में आता था। वो दोनों दोस्त बहोत ही खुश थे। जहां भी जाते हे वो दोनों साथ जाते हे। और जो खाना बनाना हो उसमे एक दूसरे का साथ बटाते थे। उन दोनों दोस्तों को एक बेटी और एक बेटा भी था। जिसमे हिन्दु था उनको बेटी थी। और मुसलमान को बेटा था। बेटी का नाम मिना था। और बेटे का नाम रहीम था। मिना और रहीम उनके पापा के साथ रसोई में जाते थे। वो रहीम रसोई के साथ-साथ पढ़ाई भी करता था। जोत जोता मा मिना और रहीम एकदूसरे को समझने लगे और वो दोनों भी दोस्त बने और दोस्त में से फिर उन दोनों में प्यार हो गया। वो दोनों एक दूसरे से बहोत प्यार करते थे।
ये बात एक दिन मिना के पापा को पता चली और उसने रहीम को हिन्दु लड़की के लिए वो एक श्रेष्ट हे। वो साबित करने को कहा। जैसे जैसे दिन गुजरते गए और वो दोनों में प्यार बढ़ता गया। एक दिन मिना के पापा को हिन्दु परिवार में एक शादी में औडर आया था। लेक़िन तब बीचमें मीना के पापा बीमार हो जाते हे। और मिना को रसोई संभालना कहते हे। तब मिना के पास रहीम आता हे। और हिन्दु डिस सारी बनाता हे। तब शादी का खाना हो जाता हे। वो सब देखकर मीना के पापा खुश होते हे। उन दोनों की शादी के लिए मान जाते हे। और फिर एक दिन रहीम ट्रेन में जा रहा होता हे। रहीम के पास एक कबूतर होता हे। जो हर रेश में प्रथम नंबऱ पर आता हे। एक दिन ऐसा ही एक सारे कबूतरों का रेश था। उनमें रहीम भी सामिल था। रहीम हर बार जीत जाता था। और उसे मेडल मिलता था। ईस बार भी रहीम ही आने वाला था। रेश हुई कबूतर के गले में पर्ची बांघने में आई और कबूतरों को उड़ाया गया। ईस बार भी रहीम प्रथम नंबर पर आया और वो जीत गया।
ये देखकर दुशरे देश वाले रहीम से जलने लगे और रहीम को मारने के लिए एक अंघे व्यक्ति का नाटक करके वो ट्रेन में चढ़ा जिसमे रहीम सफर करता था। रहीम और कबूतर ट्रेन में शान्ति से सोते थे। उस टाइम पर रहीम बहार देखते के लिए जाता हे। अब उसे वो अंघा व्यक्ति उसे घक्का मारता हे। और रहीम बहार पथ्थर से टकराता हे। और मृत्यु पामता हे। ये सब रहीम की बेग़म को पता चलता हे। वो ये सब मनने के लिए तैयार न होती हे उसे लगता हे। की वो कभी भी आत्महत्या नहीं कर सकते तब वो पोलिस के पास जाती हे। और काफ़ी छानबीन के बाद पता चलता हे। की रहीम का मडर हुआ था। ट्रेन में से उसे घक्का मारके गिराया गया था। तभी ये भी पता चलता हे। की कबूतर के रेश में रहीम का प्रथम नंबर आता था। इस लिए उसे मारने की कोशिश करवा मां आई थी। रहीम के मृत्यु का सारा पोल खुल जाता हे। और रहीम के आत्मा को शांति मिलती हे। रहीम के पापा बहोत दुःखी होते हे। तभी मिना के पापा उनको समजाते हे। और दोनों फीर से रसोई के काम में लग जाते हे। पर मिना का मन हंमेशा रहीम को याद करता और मिना रोती थी। ये देखकर मिना के पापा भी बहोत दुःखी होते हे।
दोस्तों हमे इस कहानी में से ये प्रेरणा मिलती हे। की हमे किसी भी घर्म को गलत नजर से नहीं देखना चाहिए। क्युकी भगवान ने सभी घर्म एक ही बनाया हे। पर इंसाने उनको अलग अलग घर्म में बाट दिया था। लेकिन हमे घर्मो को समान मानना चाहिए। और भारत में चल रहे हिंदु मुसलमान के झगड़े को दोस्ती में बदल ने की कोशिश करनी चाहिए।
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