एक गांव था जिसमें एक गरीब परिवार रहता था वो बहुत ही गरीब था उनको खाने पीने की चीजें तक महेनत करके जो सांज को पैसा मिलते थे उनसे खरीदनी पड़ती थी। उस परिवार में चार लोग रहते थे। दो भाई बहन और माता पिता उनमे एक लड़का भी था उस लड़के का नाम राजू था वो 10 वी कक्षा में अभ्यास करता था। और बाकि लोग जो बचे उनमें एक बहन थी जो अभी छोटी थी। और उस लड़के के माता पिता जो रात दिन महेनत करते थे और दो बच्चों को संभालते थे।
राजू पढ़ाई में बहुत ही अच्छा लड़का था वो बहोत महेनत करता था स्कूल में सर सभी बच्चों से राजू को अच्छा मानते थे। राजू सभी बच्चों के साथ जूल मिल जाता था। और वो हमेशा ही अपने परिवार के बारे में सोचता रहेता था। और वो अपने परिवार के साथ ख़ुश रहेता था। राजू बहोत ही समझदार लड़का था। जो हमेशा बड़े बड़े सपने देखता था। उसकी सोच हमेशा बड़ी ही होती थी। वो अपने आत्मविश्वास के कारण ही बड़े बड़े सपने देखता था। और वो मन ही मन समझदार बनता था।
एक दिन स्कूल में सर सभी बच्चों को एक निबंध लिखने को दिया।और सभी लड़के निबंघ लिख के लाए उन सबका निबंघ सर ने देखा सबका निबंघ सही था। पर सर ने जब राजू का निबंघ देखा तो सर ने उसे वो निबंघ वापस कर दिया और सर ने कहा की ये निबंघ जूठा हे। तुम कल फिर से निबंध लिख के लाने को कहा।
राजू ने उस निबंघ को देखा और उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया। राजू का आत्मविश्वास होने से वो निबंघ राजू ने कल भी निबंघ सर को दिया सर ने फिर से उसे वापस किया और कहा की ये निबंघ सही नहीं हे। राजू थोड़ा सा निराश हो गया पर उसने हार न मानी और फिर से भी वो ही निबंघ सर को दिया और सरने उसे वापस दिया। ऐसा कई बार हुआ फिर भी राजू का आत्मविश्वास वैसा की वैसा ही रहा।
राजू ने सर से कहा की आप मानो या ना मानो मेरे घर के बारे में यही निबंघ मेरे मन में आया और मेने यही निबंघ लिखुगा यही हे मेरे घर के बारे में निबंघ राजू ने उसके घर के बारे में काफ़ी लिखा होता हे। उसने निबंघ में ऐसा लिखा होता हे। की मेरा घर बहोत बड़ा होगा। और उस घर में काच बारीया होगी। घर में काफ़ी फ़र्नीचर किया होगा। उसके चारे तरफ इमारतें चणी होगी और बहोत बड़ा गेट भी होगा। आदि राजू ने अपने निबंघ में लिखा था। जब – जब समय बीतता गया और राजू बड़ा होता गया राजू अपनी समझदारी से वो काफी पद पाया और वो नौकरी पर लग गया। और वो काफ़ी पैसा वाला बन गया।
फ़िर एक दिन जिस स्कुल में राजू पढ़ाई करता था वो स्कुल में से प्रवास के लिए सर बच्चों को लेकर गए थे। जब सही जगह सोने के लिए न होने पर सर बहुत ही चिंता में थे। तभी वहां राजू का कोई दोस्त आया और उसने राजू के घर पर ले गया। जब सर ने देखा तो वह राजू का घर था। वो वही और वैसा ही घर था जो राजू ने अपने निबंघ में लिखा था। सर वो देखकर खुश हो गए। और राजू को गले लगा लिया।
कहानी की सिख
दोस्तों हमे इस स्टोरी से ये प्रेरणा मिलती हे की हमे हमारे आत्मविश्वास पर विश्वास रखना चाहिये। जो हमारे अंदर आत्मविश्वास होगा तो हम कभी भी रुक नहीं सकते हे। और हमारी ताकत और भी बढ़ सकती हे। इसलिए हमे आत्मविश्वास रखना चाहिये।
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