किस पर शायरी 

किस पर शायरी 

रात का मौसम हो नदी का किनारा हो गाल आपका हो पर किस हमारा हो

एक किस चाहिए हमें आपसे लेकिन वो भी उधार क्योकि हमें व्याज़ के साथ लौटाने की आदत है

हर रोज तुम्हे मिस कर लेते हे देख के तस्वीर आपकी आपको किस कर लेते है

छीन कर हाँथो से सिगरेट कुछ इस अंदाज में वो बोली कमी क्या है मेरे होठो में जो तुम सिगरेट पीते हो

होठो को तेरे होठो से लगाना चाहता हु में बाहो में भरके तुम्हे अपना बनाना चाहता हु में

चूमे मैने जब तुम्हारे होठ तब ये एहसास हुआ की पानी की जरुरत नहीं है प्यास बुझाने के लिए

तू रख दे तेरे होठ पे मेरे होठ कुछ इस तरह या तेरी प्यास बुझ जाये या मेरी साँस रुक जाये

मैने कहा तीखी मिर्च हो तुम वो होठ चूमकर बोली और अब

होठ मिला दिया उसने मेरे होठो से ये कहकर की अब ये शराब का नशा छोड़ देंगे अगर ये जाम रोज मिला तो

ना कुछ कहना ना हम कुछ कहेंगे एक दूसरे को हम बाहो में भरेंगे फिर एक लम्बी किस करेंगे

इश्क तुमसे सनम जैसे मेरी बंदगी हो गई, चूमा जो तेरे माथे को गुलजार मेरी ज़िन्दगी हो गई

अपनी जान को इतनी किस करो की आपकी किस के बाद वो किसी और को मिस ना करे