नमस्कार दोस्तों आप सभी का दिल से स्वागत है तो दोस्तों आज हम देवरानी और जेठानी की एक रुला देने वाली प्रेरक कहानी लेकर आये है ये कहानी आपके जीवन में बहुत कुछ सीखा देगी दोस्तों कहानी बहुत ही मजेदार और प्रेरणादायक है इसे जरूर पढ़े।
देवरानी और जेठानी की कहानी
एक समय की बात है किसी एक परिवार में एक देवरानी और जेठानी के बिच बहुत प्यार था वो हमेंशा एक दूसरे का साथ देती एक दूसरे को मदद करती लेकिन एक दिन देवरानी और जेठानी के बिच किसी बात को लेकर बड़ा झगड़ा हो गया और झगड़े की वजह से बात इतनी बढ़ गई की दोनों ने एक दूसरे को बात न करने की और मुँह तक न देखने की कसम खा ली और दोनों ही अपने – अपने कमरे में चली गई और कमरे के अन्दर से दरवाज़ा बंध कर दिया।
लेकिन थोड़ी देर बार जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट – खट आवाज़ हुई तभी अंदर से जेठानी ऊँची आवाज से बोली की कौन है तभी बाहर से आवाज़ आई की दीदी में हु तभी जेठानी ने अपना दरवाजा जोर से खोला और देवरानी को सामने देखते हुई बोली अभी तो बड़ी – बड़ी कसमे खाकर गई थी की कभी बात नहीं करेंगे एक दूसरे का कभी मुँह नहीं देखेंगे तो अब यहां क्यों आई हो?
तभी देवरानी ने कहा की दीदी में कसम खाकर तो गई थी की हम बात नहीं करेंगे एक दूसरे का मुँह नहीं देखेंगे लेकिन मुझे माँ की कही एक बात याद आ गई की जब भी किसी से लड़ाई झगड़ा हो जाये तो उसकी अच्छाइयों को याद करो और मैंने भी वही किया जिससे मुझे आपका दिया हुआ प्यार ही प्यार याद आया जिसकी वजह से अब मुझे आप से कोई भी शिकायत नहीं है और में आपके लिए चाय लेकर आई हु तभी जेठानी ने आँखों में से आंसू आ गए और दोनों एक दूसरे के गले लग गए और बाद में दोनों ने एक साथ बैठकर चाय पिने लगे।
कहानी की सिख
अपने जीवन में हमेंशा याद रखे की क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बल्कि क्रोध को प्यार से जीता जा सकता है जिस प्रकार आग आग से नहीं बुझती बल्कि पानी से बुझती है उसी प्रकार हमारे रिश्तो में क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बल्कि प्यार से, संयम से जीता जा सकता है।
ये भी पढ़े।