प्रकृति के नियम – Nature Rules In Hindi

नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत है तो आज हम प्रकृति के नियम( Nature Rules In Hindi ) के बारे में बात करने वाले है तो दोस्तों प्रकृति हमें बहुत कुछ सीखाती है बस हमें प्रकृति को समझने की प्रकृति को जानने की जरुरु है किसी ने सच ही कहा है की प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ा शिक्षक है हर पल प्रकृति हमें कुछ ना कुछ सिख जरुरु देती है तो आज हम प्रकृति के कुछ नियम के बारे में जानेगे जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है और एक अच्छा जीवन जीने के लिए इन नियमो का पालन भी करना चाहिए। 

प्रकृति के नियम – Nature Rules In Hindi

Nature Rules In Hindi

प्रकृति का नियम – 1 

प्रकृति का पहला नियम ये हे की आप अपने जीवन में जिस प्रकार का बीज डालते है उसी प्रकार का फल आप अपने भविष्य में प्राप्त करते है अगर आप आम का बीज जमीन में डालते है तो आप भविष्य में आम रूपी फल को प्राप्त कर सकते है लेकिन अगर आप कांटे देने वाला पेड़ का बीज डालेंगे और आप भविष्य में आम के फल की प्राप्ति चाहते है तो ये संभव नहीं है क्योकि ये प्रकृति का नियम है की जो इंसान जैसा करता है उसे वैसा ही उसे मिलता है उसी प्रकार अगर आप अच्छे कर्म करेंगे तो आपके फल भी अच्छे ही होंगे और आपके कर्म बुरे होंगे तो आपका फल भी बुरा ही होगा। 

इसलिए हर एक इंसान को अपने जीवन में अच्छाई, ईमानदारी और महेनत का बीज डालता चाहिए ताकि आपको उसका परिणाम भीं अच्छा ही मिले लेकिन अगर आप अपने जीवन में बेईमानी, झूठ और अन्याय, अभिमान का बीज डालेंगे तो आपको उसका फल भी वैसा ही मिलेगा।

प्रकृति का नियम – 2

प्रकृति का दूसरा नियम ये की जिस प्रकार सूर्य अपने समय पर उचित दिशा में निकलता है चद्रमा भी अपने उचित समय में अपनी उचित दिशा में निकलता है उसी प्रकार हमें भी समय का महत्व समझकर अपने समय का पालन करना चाहिए यानिकि अगर सूर्य की तरह हमें चमकता है तो हमें सूर्य की तरह समय के साथ चलना भी होगा।

प्रकृति का नियम – 3

परिवर्तन प्रकृति का एक नियम है जिसके बिना ना रात होती और ना ही दिन परिवर्तन से ही हम बड़े होते है और परिवर्तन से ही हमारा विकास होता है हम अपने जीवन में सफल होते है।

जिस प्रकार पतझड़ में एक पेड़ पर सभी पत्तिया बिखर जाती है और बाद में फिर से नई पत्तिया पेड़ पर आना शरू हो जाती है और पेड़ फिर से पहले जैसा बन जाता है वैसे ही हमारे जीवन में भी कई बार ऐसी मुश्केलिया आती है की हम अपने अंदर से बिखर जाते है और हार मान लेते है लेकिन पेड़ पर जिस प्रकार पत्तिया बिखर जाने से उसका अंत नहीं हो जाता उसी प्रकार जीवन में मुश्केलिया आने से हमारे जीवन का अंत नहीं हो जाता बस हमें सही वक्त का इंतजार करना चाहिए और अपना कर्म करते रहना चाहिए जिस प्रकार एक पेड़ करना कर्म करता है आपके जीवन में भी फिर से खुशिया लौट आएगी। 

प्रकृति के नियम

किसी भी इंसान के जीवन में मुश्क़िया इंसान को कमजोर बनाने के लिए नहीं आती बल्कि इंसान को मजबूत बनाने के लिए ही आती है मुश्किलों का सामना करते हुए ही इंसान मजबूत होता है अपने लक्ष्य को पा सकता है जीतने बड़े आपके सपने होंगे उतनी ही बड़ी आपकी मुश्केली होगी इसलिए मुश्केली से कभी भी घभरना नहीं बल्कि उसका सामना करना। 

यही कोई इंसान अपने खेत में बीज ही न डाले तो क्या होगा? उस इंसान के खेत में प्रकृति उसे घास – फुस से ही भर देंगी यानिकि अगर उस इंसान को फसल लेने हे तो अच्छा बीज डालना ही होगा तभी वो फसल प्राप्त कर सकता है उसी प्रकार अगर हम भी अपने मन में सकारात्मक विचार यानिकि अच्छे विचार का बीज नहीं डालेंगे तो फिर हमारे मन में मौजूद नकारात्मक विचार यानिकि बुरे विचार ही मन में अपनी जगह बना देंगे इसलिए हमेंशा अपने नकारात्मक विचार को दूर करे और सकारात्मक विचारो का संचार करे।

प्रकृति का नियम – 4

जिस इंसान के पास जो भी होता है अक्शर वो वही बांटता है अगर आपके पास अच्छे विचार होंगे तो आप दुसरो को भी अच्छे विचार से ही प्रेरित करेंगे अगर आपके पास नकारात्मक विचार होंगे तो आप दूसरे लोगो को भी नकारात्मक विचार ही व्यक्त करेंगे अगर आप सुखी है तो आप सुख ही बाटेंगे। 

अगर आप किसी जगह गए तो वहा जाने से आपको डर लगता है और किसी दिन कोई इंसान आपके पास आकर ये पूछता है की भाई मुझे उस जगह पर जाना है जिस जगह से आप डरते है तो आप उस इंसान से भी यही कहेंगे की नहीं भाई वहाँ मत जाइये वहां भुत रहता है यानिकि आप भयभीत है उस जगह से इसलिए आप भय ही बाटेंगे अगर आप उस जगह से नहीं डरते तो आप उस इंसान से ये कभी नहीं कहते की उस जगह पर मत जाइये वहाँ भुत है यानिकि जिस इंसान के पास जो चीज होती है वो वही बटता है उसी प्रकार गुरु ज्ञान बांटता है दुखी दुःख बांटता है भ्रमित भ्रम बांटता है। 

प्रकृति का नितम – 5 

इंसान की सबसे बड़ी समस्या ये है की इंसान कोइ भी चीज आसानी से या मुश्किल से मिल जाये तो उस चीज को पचाना नहीं आता जिसकी वजह से हमें कई प्रकार के नुकशान होते है इसलिए प्रकृति हमें ये सिखाती है की हमें जो भी मिले सुख या दुःख उसे स्वीकारना चाहिए और पचाना चाहिए। 

आप कई शादीओ में गए होंगे वहा आपने भोजन किया होगा लेकिन कई लोग ऐसे होते है जो ये सोचते है की ऐसा खाना उनको दोबारा नहीं मिलेगा इसलिए वो पेड़ भर – भर के खाना खाते है जिसकी वजह से वो कई रोग से पीड़ित होते है यानिकि जीतनी हमें जरुरत होती है हमें उतना ही खाना चाहिए उसी प्रकार अगर किसी इंसान के पास अधिक पैसे आ जाते है तो उसे उनका योग्य इस्तमाल करना नहीं आता यानिकि पचाना नहीं आता जिसकी वजह से उस इंसान का दिखावा बढ़ जाता है यानिकि वो उन पैसे से गाड़ी खरीदता, घर खरीदता है और अंत में पछतावा करता है। 

उसी तरह बात न पचने पर चुगली बढ़ती है प्रसंसा न पचने पर हमारा अहंकार बढ़ता है निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है राज न पचने से खतरा बढ़ता है दुःख न पचने पर हमारी निराशा और उदासी बढ़ती है जबकि सुख न पचने पर पाप बढ़ता है।

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” पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “