सहनशीलता – सहनशीलता की शक्ति

नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत है तो आज में आपके लिए सहनशीलता की शक्ति पर एक प्रेरक कहानी लेकर आये हु जो आपको सहनशीलता का महत्व समझाएंगी। सहनशीलता हर एक इंसान में नहीं होती कुछ ही लोग होते है जिनमे सहनशीलता होती है सहनशीलता हमारी कमज़ोरी नहीं होती बल्कि हमारी शक्ति होती है क्योकि सहनशीलता एक प्रकार का तप है तो दोस्तों कहानी बहुत ही अच्छी है इसे पूरा जरूर पढ़े। 

सहनशीलता की शक्ति

सहनशीलता की शक्ति

सहनशीलता को इंसान का आभूषण माना जाता है इससे हमें एक प्रकार की शक्ति मिलती है जबकि सहनशीलता के अभाव की वजह से इंसान क्रोधी बन जाता है या तनावग्रस्त रहने लगता है जिसकी वजह से इंसान की सोचने की और समझने की शक्ति कम हो जाती है जबकि जिस इंसान के अंदर सहनशीलता का गुण होता है उनको आदर मिलता है उसे जल्दी क्रोध और तनाव नहीं होता सहनशील इंसान किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है। 

सहनशीलता होने के लिए जरुरी है की आप अपने से बड़ो की बातो का बुरा न माने और बड़ो का आदर सन्मान करे चाहे कोई छोटा हो या बड़ा यानिकि हर तरह के इंसान के साथ आप धैर्य से बात करे दूसरे को समझने की कोशिश करे कभी भी किसी चीज के लिए किसी इंसान के लिए क्रोध न करे अपनी बात को मनवाने के लिए किसी पर कोई दबाव न डाले दुसरो को वही सन्मान दे जो आप खुद चाहते हो अपनी बुराई को छोड़ने का प्रयास करे।

सहनशीलता की शक्ति पर कहानी

सहनशीलता की शक्ति

बहुत समय पहले की बात है एक संत हर रोज सुबह – सुबह सत्संग करते थे ये उनका हर रोज का काम था लेकिन संत के सत्संग की वजह से पास में रहने वाला एक इंसान सत्संग की आवाज से परेशान था और वो भी हर रोज संत को गालिया देता रहता था लेकिन संत मुश्कुराते और अपना काम करते लेकिन उसे कुछ भी नहीं कहते। 

ऐसा हर दिन चलता था जो लोग संत के पास आते थे वो अक्शर संत से कहते की महाराज आपकी इच्छा हो तो उस इंसान को सीधा कर दे हम। लेकिन संत कहते की नहीं हमें ऐसा नहीं करना चाहिए वो इंसान अपना काम करता है और हमें अपना काम करना चाहिए वो अपने आप सुधर जायेगा। 

एक दिन की बात है की उस इंसान का अकस्मात होता है और उसे अपने घर जाया जाता है वो ठीक से चल भी नहीं सकता जब संत सुबह अपना सत्संग करते है तब वो इंसान आवाज की वजह से परेशान होता है लेकिन ठीक से न चलने की वजह से वो संत के कुटीर में आ नहीं सकता जिसकी वजह से उस दिन संत को गालिया सुनने को नहीं मिलती। 

जब संत को इस बात का पता चलता है की उस इंसान का अकस्मात हुआ है तब संत ने सबसे अच्छे और मीठे फल एक कपडे में बांधकर उस इंसान को देने के लिए दूसरे इंसान को कहा तभी जो इंसान फल ले जा रहा था वो बोला की महराज वो इंसान तो हर रोज आपको गालिया देता है तो ये मीठे फल इसके लिए क्यों? तभी वो संत ने कहा की कोई बात नहीं सिर्फ गालिया ही देता है ना। 

जब वो इंसान मीठे फल लेकर उस इंसान के पास पंहुचा और उसने गाली देने वाले इंसान को मीठे फल दिए तभी वो इंसान ने कहा की संत ने किसी और के लिए ये फल भेंजे होंगे में तो हर दिन संत को गालिया देता हु तब फल देने वाला इंसान उस इंसान से कहता है की नहीं संत ने ये मीठे फल आपके लिए ही भेंजे है और कहा है की आप इस मीठे फल को खाइये, इसका रस पीजिये जिससे आपकी शक्ति बनी रहे और आप जल्दी से ठीक हो जाये। 

वो इंसान जब ठीक हुआ तो वो सबसे पहले उस संत के पास गया और संत के चरणों में गिर पड़ा और संत से कहने लगा की महाराज मुझे माफ़ करे मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है। ये होती है सहनशीलता की शक्ति। 

कहानी की सिख

सहनशीलता में इतनी शक्ति होती है की वो किसी भी बुरे से बुरे इंसान को भी बदल सकती है लेकिन सहनशीलता को धारण करना हर किसी के बस की बात नहीं होती कुछ ही लोग होते है जो सहनशीलता को पूर्ण रूप से धारण करते है और जिस इंसान में सहनशीलता होती है उनके जीवन में एक अनोखी मिठास होती है एक अद्भुत संतोष और प्रकाश आ जाता है।

सहनशीलता के लिए हम क्या करे 

दूसरे इंसानो से कभी भी कोई उम्मीद अपेक्षा न करे यानिकि किसी से अपेक्षा न के बराबर करे 

जो आपके साथ जैसा है उसे वैसा ही स्वीकर करे फिर वो आपका दोस्त हो, आपकी पत्नी हो उसे बदलने की कोशिश न करे 

आपके मन में जो भी विचार है उसे दूसरे लोगो के सामने न लाये क्योकि विचारो का मेल शायद ही होता है 

किसी भी चीज का अभिमान न करे और खुद को कभी भी गंभीरता से न लें 

जितना हो सके उतना कम बोले 

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”  पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “