नमस्कार दोस्तों आपका दिल से स्वागत हे तो आज हम बात करने वाले हे एक प्रेरणादायक हिंदी कहानी के बारे में ये कहानी हमें ये सिख देती हे की हमें किसी का उपकार कभी भूलना नहीं चाहिए लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं हे यानिकि ज्यादातर लोग आपके उपकार को भूल ही जाते हे लेकिन फिर भी हमें दूसरे लोगो पर उपकार , उनकी सेवा करते रहना चाहिए बिना किसी उम्मीद के क्योकि सेवा का सही फल हमें सिर्फ भगवान ही दे सकते हे इंसान नहीं इसलिए सेवा सबकी कीजिये लेकिन उम्मीद किसी से न रखिये तो दोस्तों मुझे उम्मीद हे की आपको ये कहानी जरूर पसंद होगी। Upkar Ka Badala kahani
उपकार का बदला / सच्चा प्रेम कहानी
एक बड़ा ही सुहावना वन था उस वन में कई प्रकार के तरह - तरह के हरे भरे वृक्ष , कोमल लताये , सुन्दर पौधे और कई महकते फूल थे इस वन में कई प्रकार के छोटे - बड़े पक्षी रहते थे कई प्राणी रहते थे इतना ही नहीं इस वन में रहते वाले पक्षी और प्राणियों को पानी पिने के लिए उस वन में से एक नदी भी बहती थी यानिकि पक्षियों और प्राणियों के लिए ये वन ही सबसे अच्छी जग़ह थी।
एक दिन की बात हे उस सुन्दर वन की सैर करने के लिए देवराज से राजा इंद्र उस वन में पधारे। वो उस वन के सुन्दर और बड़े वृक्ष को ,कोमल लताये को , पक्षी के कलरव को , प्राणियों की मस्ती को देख रहे होते हे तब अचानक राजा इंद्र की नजर एक उदास तोते पर पड़ी जो एक सूखे पेड़ पर बैठा था ये देखकर राजा इंद्र उस उदास बैठे तोते के पास जाकर कहा की इस वन में असंख्य पेड़ पौधे हरे भरे और फल फूलवाले हे इस वन में रहने वाले सभी पक्षी और प्राणी खुश हे अपनी मस्ती में जी रहे हे जबकि एक तुम हो जो इस सूखे पेड़ पर उदास बैठे हो ऐसी तो क्या बात हे वो तुम उदास बैठे हो?
तब वो उदास तोता राजा इंद्र को उत्तर देता हे की हे मेरे देवता ये पेड़ भी पहले हरा भरा था यानिकि कभी इस पेड़ पर भी सुघंधित फूल और मीठे - मीठे फल थे यानिकि जब में छोटा था तब से लेकर में बड़ा हुआ तब तक का सफर मैने इस पेड़ के आश्रय के साथ ही तय किया हे इस पेड़ में मुझे आंधी में तूफान में, बारिश में मेरी रक्षा की हे इसने बड़े प्यार से मुझे सब कुछ दिया हे इतना ही नहीं मेरे बच्चे भी इसी पेड़ की वजह से बड़े हुए हे अब इस पेड़ की ऐसी दुर्दशा में में इसका साथ कैसे छोड़ सकता हु अब आप ही मुझे बताओ की मुझे इस पेड़ के उपकार को भूल जाना चाहिए क्या?
उस उदास तोते की बात सुनकर राजा इंद्र बहुत ही खुश हुए और उन्होंने उस उदास तोते से कहा की में तुम्हारे इस सच्चे प्रेम से बहुत ही प्रसन्न हुआ बोलो तुम्हे क्या चाहिए में तुम्हे ऐसा ही दूसरा पेड़ दू या फिर ऐसा ही दूसरा वन दू तुम जो मांगोगे वो तुम्हे मिलेगा। तब वो उदास तोता राजा इंद्र से कहता हे की ना मुझे कोई दूसरा पेड़ चाहिए और ना ही कोई वन चाहिए बस आप इस सूखे पेड़ को ही फिर से हरा - भरा कर दे तब राजा इंद्र ने उस सूखे पेड़ को फिर से हरा भरा कर दिया देखते ही देखते उस सूखे पेड़ पर हरी पत्तियां और फल फूल दिखने लगे ये सब देखकर उस तोते की ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा।
कहानी की सिख : अगर आप भी अपनी ज़िन्दगी में किसी की सेवा करते हे या फिर किसी पर उपकार करते हे तो आपको भी उपकार का बदला पेड़ की तरह जरूर मिलेगा। जब भी कोई इंसान हमारी मुश्किल परिस्थिति में हमारी मदद करे , हमारा साथ दे तो हमें उसके उपकार को कभी भूलना नहीं चाहिए।
" पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद "
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