4 चोरो की कहानी – Inspirational Story Of 4 Thieves In Hindi

जनकपुर नामक एक गांव था उस गांव में चार चोर रहते हे उनका काम बस चोरी करना और अपना परिवार का भरण पोषण करना था यानिकि वो चार चोर छोटी – छोटी चोरी करके अपना और परिवार का जीवन चलाते थे ऐसे कई सालो से चले आ रहा था लेकिन एक दिन की बात हे वो चार चोर गांव के पास एक मंदिर था उस मंदिर पर एकत्रित हुए और सभी का यही कहना था की अब हमें ये चोरी का काम छोड़ देना चाहिए। 

तब उनके मन में ये विचार आता हे की हम चोरी करना छोड़ देंगे तो फिर हमारा परिवार कैसे चलेगा तभी एक चोर ने खड़े होकर कहा की हम एक ऐसी बड़ी चोरी करेंगे की उसके बाद हमें चोरी ही नहीं करनी पड़ेगी सभी चोर उनकी बात से सहमत थे और सभी ने इस निर्यण को स्वीकार लिया की हम ये लास्ट चोरी करेंगे और उस धन या पैसे से कुछ धंधा करेंगे उसके बाद वो चार चोर अपने अपने घर चले गए।

4 चोरो की कहानी – Inspirational Story Of 4 Thieves In Hindi 4 चोरो की प्रेरणादायी कहानी - Inspirational Story Of 4 Thieves In Hindi

दूसरे दिन वो चार चोर फिर से उस मंदिर पर एकत्रित हुए और रात का इंतजार करने लगे जब रात हुई तो वो सभी पास वाले गांव में एक सोनी की दुकान थी उसमे चोरी करने पहुँच गए और सभी जहरात , सोने के सिक्के सब कुछ लेकर वापस अपने गांव जाने लगे तब रात के करीबन दो बज रहे थे सभी को भूख बहुत जोर से लगी थी ऐसे में एक चोर ने कहा की हम दो इन चोरी के धन की रखवाली करते हे और तुम दोनों गांव से कुछ खाना ले आओ तब दो चोर खाना लेने गए तो दो चोर चोरी किये हुए धन की रखवाली करने लगे। 

तब जो चोर धन की रखवाली करते थे उनके मन में लालच हुआ और दोनों ये निर्यण लिया की जब वो दोनों खाना लेकर आये तब उनको कुआ के पास लेकर जाना और धक्का दे देना और फिर हम दोनों इस धन को आधा – आधा कर लेंगे और वो दोनों उन दो चोरो का इंतजार करने लगे थोड़ी देर बाद वो दो चोर खाना लेकर वापस आये तो उनको कुआ में धक्का दे दिया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। 

अब बचे सिर्फ दो चोर जो धन की रखवाली करते हे उन्होंने खाना खाया और वो भी मर गए क्योकि वो दो चोर जो खाना लेने गए थे उनके मन में भी लालच हुआ था की हम इस खाने में जहर मिला देते हे जिसे वो इस खाने को खाकर मर जायेंगे और हम दोनों धन को आधा – आधा कर लेंगे लेकिन अंत में वो धन किसी के हाथ में न लगा बस वही के वही पड़ा रहा।

कहानी की सिख

छोटी सी कहानी हे लेकिन कहानी की सिख बहुत बड़ी हे की जैसे हम दुसरो के लिए करते वही हमारे साथ भी होता हे अगर आज आप किसी को धोखा दे रहे हो तो कल कोई आपको धोखा देगा अगर कोई आज आपको रुलाता हे तो कल कोई और उसको रुलाएगा यानिकि ये सब कर्मो का खेल हे जैसे हम कर्म करेंगे उनका फल भी हमें वैसा ही मिलेगा। 

अगर उस चार चोर ने आपस में मिल झूल के धन को बाट लिया होता तो कुछ न होता बल्कि एक लालच की वजह से धन भी हासिल न कर सके इसलिए ज़िन्दगी में कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए जितना मिल रहा हे या हमारे पास जितना हे उसमे संतोष मान लेना चाहिए।

इंसान की पहचान उनके कपडे और बाह्य देखव से नहीं होती बल्कि उनके कर्मो से होती हे।

” पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद “

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