ये कहानी आपको ध्यान केंद्रित करना सीखा देंगी

 कई ऐसी कहानीया हे जो हमें जीवन कैसे जीना चाहिए ऐसी प्रेरणादायक सिख देती हे यानिकि हम कहानियो से बहुत कुछ सिख सकते हे जैसे अपनी ज़िन्दगी में बदलवा ला सकते हे अपनी ज़िन्दगी में कहानी के माध्यम से सफल भी हो सकते हे तो ऐसी ही एक कहानी के बारे में हम बात करने वाले हे जो आपको अपने ध्यान को केंद्रित करना सीखा देंगी यानिकि अगर आप अपने मन को अपने ध्यान को अपने विचारो को केंद्रित नहीं कर पा रहे तो ये कहानी आपके लिए सही साबित होगी तो दोस्तों मुझे उम्मीद हे की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद होगी।

ध्यान केंद्रित करे सीखे कहानी के माध्यम से

ध्यान केंद्रित कैसे करे सीखें इस कहानी से

जनकपुर नामक एक छोटा सा गांव था उस गांव में राहुल नामका एक लड़का अपने माता – पिता के साथ रहता था। राहुल के माता – पिता बहुत ही समझदार थे वो राहुल को छोटी सी छोटी बात भी बहुत आसानी से समझाते थे। राहुल बहुत ही होशियार लड़का था। 

एक दिन की बात हे जब राहुल 15 साल का हो गया था। हर रोज की तरह वो अपने स्कुल से लौट रहा था लेकिन तब उसका चहेरा मुस्कुराता हुआ नहीं बल्कि उनका चहेरा उदास था ये देखकर राहुल के पिता ने राहुल से पूछा की क्या बात हे आज तुम्हारा चहेरा उदास क्यों हे? तुम निराश क्यों हो? तब राहुल अपने पिता से कहता हे की अब में उस स्कुल में नहीं जाऊंगा तब राहुल ने पिता ने राहुल को कहा की ऐसा आज क्या हो गया की तुम स्कुल में नहीं जाओंगे तब राहुल बोला की मेरे क्लास में मेरे साथ अभ्यास करते मेरे दोस्त हमेंशा इधर उधर की बातें किया करते हे हमेंशा लड़कियों के बारे में बातें करते हे गपशप करते हे यानिकि वो अपना समय तो बर्बाद करते ही हे लेकिन मेरा ध्यान भी भंग करते हे मेरे मन को विचलित करते हे यानिकि वो अभ्यास कम और दीवाखा ज्यादा करते हे इसलिए में किसी और स्कुल में पढ़ने जाऊंगा। राहुल की बात सुनकर उसके पिता ने उनसे कहा की ठीक हे लेकिन उसके लिए तुम्हे मेरा एक काम करना होगा तब तुम्हे में दूसरे स्कुल में पढ़ने के लिए ले जाऊंगा राहुल कहा की मुझे क्या काम करना होगा तब राहुल ने पिता ने राहुल को एक पानी से पूरा भरा हुआ ग्लास दिया और कहा की तुम्हे ये पानी से भरा हुआ ग्लास लेकर हमारे घर की तीन बार परिक्रमा करने होगी लेकिन शर्त ये हे की ग्लास के पानी की एक बून्द भी गिरनी नहीं चाहिए राहुल बोला ये काम तो में कर लूंगा। 

थोड़ी देर बाद जब राहुल परिक्रमा करने वापस आया तब उसके पिता ने उसको तीन सवाल पूछे 

1 . घर के पीछे जो पेड़ हे उसको तुमने देखा ?

2 . आवाज करते किसी पक्षी को या किसी पशु को तुमने देखा ?

3 . आसमान में जाने वाले हेलीकॉपटर को तुमने देखा ?

तब राहुल बोलता हे मेने किसी को नहीं देखा तब राहुल के पिता राहुल को समझाते हुए कहते हे की तुमने उस चीजों को इसलिए नहीं देखा क्योकि तुम्हारा पूरा ध्यान पानी से भरे ग्लास पर था की इसमें से पानी गिर न जाये और तुम्हारा लक्ष्य परिक्रमा को पूरा करने का था इसलिए तुम्हारे रास्ते में आने वाली कोई चीज तुम्हे दिखाई न दी और तुमने देखना का प्रयास नहीं किया इसलिए तुमने अपने लक्ष्य को पा लिया वैसे ही जब भी तुम किसी भी स्कूल में पढ़ने जाओ तो अपना ध्यान केवल पढाई पर ही केंद्रित करना तुम्हे और कुछ दिखाई नहीं देगा तो तुम अपने लक्ष्य तक पहुँच जाओंगे अपने पापा की बात सुनकर राहुल सब समझ गया की मेरी प्रॉब्लम मेरे दोस्त नहीं में खुद हु मुझे सिर्फ और सिर्फ पढाई पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए दूसरे लोगो पर नहीं। और बाद में उसने दूसरी स्कुल में जाने से भी मना कर दिया और फिर से वही स्कुल में पढाई के लिए जाने लगा।

जो काम हम कर रहे उसमे अपने ध्यान को केंद्रित करे और सच्ची लगन के साथ उसे हमेंशा करते रहिये दूसरे लोग क्या कहेंगे , दूसरे लोग क्या कर रहे हे इसके बारे में सोचने के बजाय में क्या कर रहा हु इसके बारे में सोचे और अपना पूरा ध्यान अपने काम में केंद्रित करे।

कहानी की सिख : 

छोटी सी कहानी हे लेकिन सिख बड़ी हे जिस तरह कई नदियाँ समुद्र में निरंतर बहती रहती हे लेकिन फिर भी समुद्र विचलत नहीं होता हे वैसे हमें भी कोई इंसान कुछ भी क्यों न बोले , कुछ भी क्यो न करे लेकिन हमें विचलित नहीं होना हे हमें बस समुद्र की तरह शांत रहना हे और अपना काम करते रहना हे।

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