आवाज़ पर बहेतरीन शायरी – Aawaz Par Shayari In Hindi

आवाज़ पर शायरी 

 

लोग सूरत पर मरते है जनाब

मुझे तो आपकी आवाज़ 

से भी इश्क है।

 

खामोश हूं तो क्या हुआ तू भी तो

आवाज़ दे कभी,

मै भी तो समझू तू कितना बेचैन है

मेरे लिए।

 

हर रोज याद आएगी मगर तुम्हें

आवाज़ न दूंगा,

तेरे लिए हर गजल हर शायरी मगर

तेरा नाम न लूंगा।

 

तेरी आवाज़ सुनने को हर पल

बेक़रार रहता हूं,

नहीं करूंगा याद तुम्हे मैं खुद

से हर बार कहता हूं।

 

एक आवाज़ आती है दिल के कोने से

उनकी हमें हर पल याद आती है

हमसे दिल पूछता है बार-बार 

के हम जितना याद करते है उन्हें 

क्या उन्हें भी हमारी याद आती है।

 

जब भी पड़ती है आपकी आवाज़

इन कानो में,

दिल की घड़कने तेज़ हो जाती है,

होश में रहती नहीं हू मै, तुझ में 

खो जाती ह मै।

 

हाल तो पूछ लूं पर डरता हूं तेरी 

आवाज़ से,

जब-जब सुनी है, कमबख्त मोहब्बत

ही हुई है।

 

तेरी आंखे शब्द और आवाज़ ही काफ़ी

है मेरे लिए,

किसने कहा की छूना जरूरी है छू जाने

के लिए।

 

उनकी एक बार आवाज़ सुनना चाहते है,

मगर बात करने का बहाना भी तो

नहीं आता मुझे।

 

तपती दोपहरी गरम रेत पर ठंडे पानी की

बूंदो जैसा काम कर गई तेरी आवाज़

जो कल सुनी मैंने।

 

हर लफ्ज़ हर आवाज़ को सुनते है,

चलों आज तन्हाई से बात 

करते है।

 

रोना बिना आवाज किए,

रोने से ज्यादा दर्द देता है।

 

हर फर्ज दोस्ती का निभायेंगे जरूर,

दिल से आवाज़ दोगें तो आयेंगे जरूर।

 

काश तेरे घर के सामने मेरा घर होता,

तू ना आती तो क्या तेरी आवाज़ 

तो आती।

 

रात आती है तेरी याद चली आती है,

किस शहर से तेरी आवाज 

चली आती है।

 

दिल तेरी आवाज़ के लिए तड़पता है,

तेरे प्यार भरे चंद अल्फाज 

के लिए।

 

सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज़ 

पर उतार कर,

कह भी देता हूं और आवाज़ भी 

नहीं आती।

 

तुझे छू ले मेरी आवाज़ बस इतनी 

मोहलत

तेरे कूचे से गुज़र जाऊंगा साधू की 

तरह।

 

वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर छुप गए,

अब तो बस आवाज़ ही 

आवाज़ है।

 

किसने सोचा था की ख़ुद से मिल 

कर अपनी आवाज़ से डर 

जाना है।

 

नग़में बदल जाते है दिल की आवाज़ से,

साथ ना दें तो अपने बदल जाते है।

 

कोई आवाज़ पे आवाज़ दिए जाता है,

आज सोता ही तुझे छोड़ जे जाना होगा।

 

मोहब्बत सोज भी है साज़ भी है,

ख़ामोशी भी है ये आवाज़ भी है।

 

सुनो बाबु तुम्हारी आवाज़ नहीं 

आ रही लगता है नेटवर्क की 

प्रॉब्लम है।

 

दिल की आवाज़ को इजहार कहते है,

झुकी नजर को इकरार कहते है।

 

मत छुपा शरमा के चेहरे को पर्दे में,

हम चेहरे के नहीं तेरे आवाज़

के दिवाने है।

 

चलो अब आवाज़ दी जाये नींद को,

कुछ थके थके से लग रहे है

ख़्वाब मेरे।

 

तुम्हें इघर उघर ढूंढती है मेरी आंखे,

जब सुनता हूं किसी के पायल

की आवाज़।

 

तुम हो घड़कते दिल की आवाज़,

सब से ज्यादा कुछ ख़ास तुम हो,

हर पल एहसास होता है इतना,

जैसे मेरे दिल के पास तुम हो।

 

मेरे दिल से फांसला कुछ इतना तय

कर लो की मेरे दिल की

धड़कन की आवाज़ तुम साफ़-साफ़

सुन लो।