धूप पर बहेतरीन शायरी – Dhup Par Shayari In Hindi

धुप पर शायरी

Dhup Par Shayari In Hindi

धूप गज़ब की है इस शहर में

 मगर मैने दिल पिघलते नहीं 

देखा किसी का।

 

रूहानी होती है वक्त की ताकत,

धूप कितनी सुहानी होती है सर्दी की।

 

बहुत कड़ी धूप है जल रहा है बदन,

जरूर कुछ तकलीफ़ है लेकिन 

घर चल रहा है।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

जिस धूप में आज सुकून है,

इसी धूप में कल जलन होगी।

 

ये धूप जरा ढल जाए तो हाल पूछेंगे,

यहां कुछ साए अपने आप को 

खुदा बताते है।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

धूप छाँव का तमाशा कब तलक यूँ देखना,

फिर ना धूप में धने पेड़ों का 

साया देखना।

 

कभी बारिश तो कभी धूप से परेशान है,

फिर भी इंसान हमेशा फ़ायदे 

में रहता है। 

  

हाथ मिलाया न करे हाल पूछा न करे,

मैं खुश हूँ इसी धूप में कोई साया न करे।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

हट जाऊ कैसे धूप से में,

मेरे कुछ लोग साए में खड़े है।

 

जिन्हें बहुत दिनों से ओढ़ा नहीं है,

उन रिश्तो को कल धूप दिखाने 

का मन है।

 

रख दिया मुझे छाँव में जलते रहे 

खुद धूप में,

ऐसा एक फरिश्ता मैंने देखा है अपने

पिता के रूप में।

Dhup Par Shayari In Hindi

मुझे चिलचिलाती धूप में जब भी 

छांव की तलाश होती है,

तो बेचैन नजरें मेरी बस मेरे पिता

को खोजती है।

मिलने पर शायरी 

 

सपनों पर शायरी 

 

तुम बादल बन जाना धूप पड़े उस पर तो,

मिलने आये अब वो तो उसको 

घर ठहराना।

 

सफ़र में जो चल सको तो चलो धूप तो होगी,

भीड़ में सभी है तुम निकल 

सको तो चलो।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

धूप ने गुज़ारिश की,

एक बूंद बारिश की।

 

धूप आने लगी है तेरी यादों की,

खुल जायेगा अभी मौसम हमारा।

 

भरोसा कर लिया झूट पर उस के,

धूप इतनी थी की साया कर लिया।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

रुकें तो धूप से नजरें बचाते रहते है,

चलें तो कितने दरख्त आते जाते रहते है।

 

धूप के एक ही मौसम ने जिन्हे तोड़ दिया,

इतने नाज़ुक भी ये रिश्ते न बनाये होते।

 

ये धूप, ये कांटे, ये पत्थर इनसे 

कैसा डरना है, 

राहें छोड़ी जाती है मुश्किल हो 

जाएं तो।

Dhup Par Shayari In Hindi

 

हर रोज़ करती है धूप ये अठखेलियां,

एक छाया सीढ़ियां चढ़ती उतरती है।

 

ज़िन्दगी बदलने वाली शायरी 

 

सूरज तो डूबता ही नहीं ग़म का,

धूप ही धूप है किधर जाएं।

 

जुदा हो जाएगा धूप बढ़ते ही,

साया ए दीवार भी दीवार से।

 

Dhup Par Shayari In Hindi

 

उन के घर की दीवार मिरी धूप ले गई,

बात ये भूलने में जमाना लगा मुझे।

 

धूप की रंगत बदल गई छाँव की शक्ल,

अब ये लू चली है की सूरत बदल गई।

 

शाम ढली किस को खबर है कब 

धूप चली,

मैं इक उम्र से अपने ही साए में

खड़ा हूँ।

Dhup Par Shayari In Hindi

 

ठंडी हो रही है चाय होठों के प्यालों में,

ढलने लगी है धूप इंतजार है आँखों में।

 

जिंदगी में धूप है तो कभी छाँव है,

ए जिंदगी तेरे न जाने कितने रूप है।

 

नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में,

उजाले पाँव पटकने लगे है पानी में।