बहुत ही कम लोग होते है जिनकी जिक्र सबके जुबा पर होती है हम किसी की जिक्र तब करते है जब वो अच्चा हो
जिक्र पर शायरी – Zikr Shayari
इस दुनिया में ज़िक्र से नहीं
फ़िक्र से पता चलता है
की अपना कौन है।
तेरी ही यादे है दिल में,
तेरा ही ज़िक्र है जुबा पे,
मैं कहता हूं ये इश्क है और
तू कहती
है बस फ़िक्र है।
महोब्बत की महफ़िल में आज मेरा
ज़िक्र है, अभी तक हूं याद में उसको
खुदा का शुक्र है।
मोहब्बत ने मुझे यही दो काम दिए है,
दिल में है याद तेरी, ज़िक्र है लब
पर तेरा।
जब भी खुद से करता हूं बात,
खुद से तेरा ज़िक्र कर लेता हूं,
इसी तरह बात बात में बस
तेरी थोड़ी फ़िक्र कर लेता हूं।
जिक्र पे शायरी
तुम इतने नादान भी नहीं हो की
हमें समझ ना सको,
मेरी चंद लाइनों में सिर्फ तेरा ही
ज़िक्र होता है।
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास
तेरा ख्याल तू नहीं फिर हर जगह
मौजूद क्यूं है।
अधूरे रहते है मेरे अल्फाज तेरे ज़िक्र
के बिना, मेरी शायरी की रूह
तो बस तूं है।
मैं तेरा कोई नहीं मगर इतना तो बता
तेरा जिक्र मेरे इस दिल में आता
क्यों है।
यादों में तुम, ख्यालो में तुम उदासी
में तुम, ख़ुशी में तुम, फ़िक्र में तुम,
ज़िक्र में तुम, बस पास नहीं मेरे तुम।
तेरी आरजू में दिन गुजर जाता है
रात आती है वक्त ठहर जाता है
एक एक लफ्ज़, एक एक सांस है मेरी
तेरे ज़िक्र के बिना, मैंने कभी जिया ही नहीं।
Jikr Par Shayari
ना जाने हम लफ्जों में तुझे बयां
कर भी पाते है की नहीं,
पर यादों में तेरा जिक्र फ़िक्र और
शोर आज भी है।
ज़िक्र से नहीं फ़िक्र से पता चलता है,
अपना कौन है।
मेरी तन्हाई का ज़िक्र ना किया कर,
सब के अपने अपने नसीब होते है।
फ़िक्र तो तेरी आज भी है,
बस ज़िक्र का हक नहीं रहा।
तेरे इश्क से मिली है मेरे बजूद
को शोहरत,
वरना मेरा ज़िक्र ही कहां था तेरी
दास्तां से पहले।
दिल में तेरी ही यादें है जुबां पे तेरा
ही ज़िक्र है,
मैं कहती हूं ये इश्क है तू कहता है
बस फ़िक्र है।
कभी तुम पूछ लेना, कभी हम भी
ज़िक्र कर लेंगे,
छुपाकर दिल के दर्द को एक दूसरे
की फ़िक्र कर लेंगे।
भर जाएंगे जख्म भी मेरे
तुम जमाने से ज़िक्र मत करना
मैं ठीक हूं तुम दोबारा
अब कभी भी मेरी फ़िक्र मत करना।
ज़िक्र तेरा हर लफ्ज़ में करेंगे
पर बेफ़िक्र रह तेरा नाम न लेंगे।
जब भी ज़िक्र होता है सुकून का
मुझे तेरी बाहों की तलब होती है।
रिश्तो को वक्त और हालात बदल
देते है,
अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात
बदल देते है।
Zikr Shayari Status
लबो पे ज़िक्र उन्ही का होता है
जिनकी फ़िक्र होती है।
प्यार करता हूं इसलिए फ़िक्र करता हूं,
नफ़रत करूंगा तो ज़िक्र भी नहीं
करूंगा।
मैंने ज़िक्र तो छोड़ दिया उसका,
लेकिन कमबख्त फ़िक्र नहीं जाती।
समन मेरी शायरी में तेरी कहानी है,
जिसके आधे हिस्से में तेरा ज़िक्र आधे में
मेरी दीवानगी है।
तेरा ज़िक्र फिर दिल संभाल गया,
एक ही पल में सब मलाल गया,
तू दिसंबर की बात करता है और हमारा
तो सारा साल गया।
इन आंखो की तमना है, बस दीदार
तुम्हारा हो,
इस दिल में रहो बस तुम और हर
बात में ज़िक्र तुम्हारा हो।
ज़िक्र तेरा है, या कोई नशा है,
जब जब होता है, दिल बहक जाता है।
कभी शाम होने के बाद मेरे दिल में
आकर देखना ख्यालों की महफ़िल
सजी होती है और ज़िक्र सिर्फ तुम्हारा
होता है।