कितनी मोहब्बत है तुम्हें मालूम नहीं,
मुझे लोग आज भी तेरी कसम
दे कर मना लेते है।
कोई हद नहीं होती चाहत की सारी
उम्र भी बीत जाए तो,
मोहब्बत कभी भी कम नहीं होती।
कभी खत्म नहीं होती सच्ची मोहब्बत,
वक्त के साथ बस खामोश हो
जाती है।
मोहब्बत किसी के प्यार को पा
लेना ही नहीं होती है,
मोहब्बत किसी के दूर रहने पर उसको
पल पल याद करना भी होती है।
तेरी मोहब्बत ये जो सुकून है,
मुझे तेरी मोहब्बत की गुरुर है,
ये जो गजब सी एहसास है,
तू ही मेरी जान तू ही मेरी हर
एकसाँस है।
जब भी मोहब्बत में तेरा ख्याल आता है,
मजबूर मोहब्बत में दिल को
मलाल आता है।
वक्त कितना भी बदल जाए पर मेरी
मोहब्बत कभी नहीं बदलेगी।
पहचान जाता है दिल मोहब्बत की दस्ता
क्योंकि अब तू ही चाहत है।
मेरी मोहब्बत मेरा ख़्वाब है तू,
जिंदगी का मेरी मनचाहा जबाब है तू।
तेरे ख्यालों में गुम बस लिखे
जा रहे है,
गीत मोहब्बत के बस सुने
जा रहे है।
तुम मिल गये सनम आज सारा जहान
मिल गया, मोहब्बत की राहों में जमीन
आसमान मिल गया।
तोड़ दो दीवार मोहब्बत की राहो में,
बेताब हो रहा है दिल ले लो
बाहों में।
आज भी हम तेरी मोहब्बत में दीवाने है,
चाँद भी तन्हा है और हम भी
इश्क के मस्ताने है।
जब प्यार का नाम आएगा तेरा
नाम याद आएगा,
मोहब्बत की महफ़िल में कोई तो
मुकाम आएगा।
तुम संग हर सफर आसान हो जायेगा,
तू मोहब्बत है मेरी तू मेरी जान
हो जायेगा।
क्यों कहते हो दर्द की दवा नहीं होती,
मोहब्बत से बढ़कर कोई वफ़ा
नहीं होती।
आज भी याद है तेरा पैगाम ए मोहब्बत,
सुर्ख गुलाब का इश्क़ की किताब में
रखकर देना।
हसरते प्यार की अब उभरने लगी है,
मोहब्बत की राह से गुजरने लगी है,
तेरी आरजू में नजरें बिछाये हुए है,
धड़कने तेरे नाम पर बहकने लगी है।
बेपनाह मोहब्बत है जो इतना
करीब आये है,
सांसों में बसा कर देख नसीब
जगमगाये है।
तुम चाहो तो खोल दो दरवाजे
मोहब्बत
में हम तेरी चाहत में अब भी
खड़े है।
हम दोनों की मोहब्बत में फर्क था,
मुझे उससे ही थी और उसे
मुझसे भी थी।
तुझे मोहब्बत करने का हिसाब ना आया,
मेरे किसी भी सवाल का जवाब न आया,
हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालों में,
और तुझे सो कर भी हमारा ख्याल ना आया।
मोहब्बत नहीं तेरी आदत बन जाओ
छोडे से न छूटे वो बुरी लत
बन जाओ।
जब तुझसे बेइंतहा मोहब्बत हुई तो
लब्ज खामोश हो गये,
बेसक आंखो में नमी थी मेरी मगर
पुराने जख्म सारे भर गये।
वादों से बंधी जंजीर थी जो तोड़ दी मैंने,
अब से जल्दी सोया करेंगे, मोहब्बत
छोड़ दी मैंने।
तकदीर में नहीं तेरी मोहब्बत,
तुम्हें फिर भी में चाहूंगा, तुम्हें पाने को में,
तकदीर लिखने वाले से लड़ जाऊंगा।
तुज पर तो गुस्सा भी नहीं आता,
ना जाने कितना प्यार कर
बैठा हूं तुझसे।
हम भी शायर है शायरी बना देंगे,
तुम्हें शायरी में कैद कर लेंगे,
कभी हमे अपनी आवाज़ सुनाओ,
तुम्हारी आवाज को हम ग़ज़ल बना देंगे।
मोहब्बत से मोहब्बत हो गयी,
जब से दिल पे तेरी दस्तक हो गयी,
एक अनजानी सी खुशी होती है,
जब तू मेरे दिल के करीब होती है।
मोहब्बत को सुनते हुए और निभाते
हुए देखा है,
तुझे देखकर पहली बार मोहब्बत को
महसूस किया है।
मैंने उस जैसी आंखे नहीं देखी,
ना ही उस जैसा चेहरा नजर आया,
मैंने देखा उसको जब से,
मुझे कोई और अब नजर नहीं आया।
मोहब्बत खा गई जवान नस्लों को
मुर्शद अब ये लड़के त्योहारों पे
खुश भी नहीं रहते।
मैंने सीखे है मोहब्बत से मोहब्बत
के उसूल,
कितना मुश्किल है किसी अपने को
अपना बनाएं रखना।
बात मोहब्बत की थी तभी तो लूटा
दी जिंदगी तुझ पे,
जिस्म से प्यार होता तो तुझ से भी
हसीन चेहरे बिकते है बाज़ार में।
तुमसे कितनी मोहब्बत है मालूम नहीं,
मगर मुझे लोग आज भी तेरी कसम
देकर मना लेते है।
मोहब्बत किससे और कब हो जाये
अंदाजा नहीं होता ये वो घर है,
जिसका दरवाजा नहीं होता।
कभी पढ़ तो सही मेरी आंखों को,
यहां दरिया बहता है तेरी मोहब्बत का।
हमारी जिंदगी क्या है मोहब्बत ही
मोहब्बत है,
तुम्हारा भी यही दस्तूर बन जाए तो
अच्छा हो।
हमे नफरत करना ना आया और
उन्हें मोहब्बत।
मोहब्बत की तो कोई हद कोई सरहद
नहीं होती,
हमारे दरमियाँ ये फासले कैसे निकल
आए।
मोहब्बत के बिना जिंदगी एक ऐसे
पेड़ की तरह है,
जिसमे कभी फल और फूल नहीं लगें।
दिल भूल नहीं सकता तुम्हें,
घड़कनों की जरूरत हो तुम,
तुमसे है मेरी दुनिया हसीन मेरी
पहली मोहब्बत हो तुम।
तन्हाई से तंग आकर
हम मोहब्बत की तलाश में निकले थे
लेकिन मोहब्बत भी ऐसी मिली
की और तनहा कर गयी।
एक दिन तो वैसे भी मर जाना है,
तुम मिल जाते तो जी लेते थोड़ा।
आसान थोड़ी है मोहब्बत करना,
हज़ार चुड़ैले से लड़ना पड़ता है, एक
भूल के लिए।
मोहब्बत कैद है,
इस कैद का आदि ना हो जाना,
सलाखे टूट जाये तो रिहाई
मार देती है।
हमे पाने के लिए न जाने क्या-क्या
किया उसने,
पगली को स्माइल देना नहीं आता
क्या।
वो रख ले कहीं अपने पास हमे
कैद करके,
काश की हमसे कोई ऐसा गुनाह
हो जाये।
जो आया दिल में वो लिख दिया,
कभी मिलन कभी जुदाई लिख दिया,
दर्द ऐ मोहब्बत के सिवा शायरी है तो है भी क्या,
जान तेरे नाम पे ग़ज़ल ऐ जिंदगी लिख दिया।
इस दिल का कहा मानो एक काम
कर दो,
एक बनाम सी मोहब्बत मेरे नाम
कर दो,
मेरी जात पर फ़क़त इतना एहसान
कर दो,
किसी दिन सुबह को मिलो और शाम
कर दो।