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    राह पर शायरी – Rah Shayari In Hindi

    admin1By admin1September 30, 2021Updated:October 13, 2022No Comments3 Mins Read

    राह पर शायरी 

     

     

    फूल खिलते रहे हमेंशा जिंदगी 

    की राह में। ….

    हसी चमकती आपकी निगाह में 

    हर पल मिले खुशिया आपको ये दिल 

    देता हे ये दुआ बार – बार आपको।

     

    राह महेनत की जो लेकर चलता हे 

    वो ही संसार को बदलता हे 

    जिसने रातो में जंग जीती हे 

    सूर्य जैसे वही चमका हे 

     

    मुझको मालूम हे वो खफा हे 

    पर मेरी राह देखती हे वो 

    वो भी तन्हाइयो में जीती हे 

    कैसे कह दू की वो बेवफा हे 

     

    किसी से कभी इश्क मत करता 

    हो जाये तो इन्तजार मत करना 

    निभा सको तो चलना इस राह पर 

    वरना यु किसी को बर्बाद मत करना 

     

    मुझसे जो मेरी देह री के पार मिल 

    सको तो आना मिलने

    मैंने राह में अपनी रूह बिछाई है।

     

    मुझे दुनिया जो भी कहे मुझे इसकी

    परवाह क्या

    मुझे तो ये देखना जितने की है राह क्या।

     

    मुसाफिर की तरह राह भटके

    में युंही भटक रहा हूं इघर उघर

    बस हर रस्ते से यही पूंछता हूं की

    तू मेरी मंजिल की तरह जाता है की नहीं।

     

    दौर ए राह में मुझे कुछ और आसान 

    नजर आता नहीं,

    एक तेरे इश्क की बात भी अब बस की

    बात नहीं।

     

    तुम जब कभी आओगे इस राह तो 

    तुम देखना,

    तनहा जैसे छोड़े थे तुम आज भी मैं वैसी 

    हूं तनहा।

     

    कुछ मुसाफिरों को मैंने राह भटकते देखा।

    मैंने शातिर को भी घोखा खाते देखा।

     

     

    राह ए जिंदगी क्या बताऊं कैसे गुजर रही है,

    शामें तनहा है और रातें अकेली।

     

    राह बड़ी सीघी है, मोड़ तो सारे मन के है।

     

    जब थक गई मेरी आंखे राह तकते हुए,

    तुझे फिर ढूंढने मेरी आंख के आंसू निकले।

     

    कौन किसी का होता है जिंदगी की राह में,

    जब अंघेरा होता है तो परछाई भी साथ 

    छोड़ देती है।

     

    फिर से इश्क की राह में चलना सीखा दिया,

    हमे फिर से इश्क ने अपना बना दिया।

     

    किसी के दिल में राह किए जा रहा हूं,

    कितना हसीन गुनाह किए जा रहा हूं।

     

    प्यार की राह में, इश्क की चाह में,

    एक दिन जरूर होंगे अपने महबूब की

    बांह में।

     

    राह में तुम्हारी मिट्टी के घर नहीं आते,

    इसलिए तो तुम्हे हम नजर नहीं आते।

     

    परवाह नहीं चाहे जमाना कितना खिलाफ हो,

    चलूंगा उसी राह पे जो सिघा और साफ हो।

     

     

    राह न देखी उस ने मेरी और वो रिश्ता

    तोड़ लिया,

    जिस रिश्ते की खातिर मुझ से दुनिया

    ने मुँह मोड़ लिया।

     

    राह चलते हुए हर बार दुआ करता था,

    जान निकली भी तो बस एक निवाले के लिए।

     

     

    मंजिल का तो पता नहीं राहे शायद एक ही थी,

    हमने वो भी अकेले ही तय किया।

     

     

    में तुझे छोड़कर चालू किस राह पर 

    राह में टुकड़े पड़े थे किसी हसीना की

    तस्वीर के लगता है,

    कोई दीवाना आज समझदार हो गया।

    admin1
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