हमारी धरती कितनी खूबसूरत है,
उसे हम लगे है तबाह करने में
हम अगर अभी भी नहीं सुधरे
तो तबाह कर देगी क़ुदरत हमे।
मेघ के साए में, गिरी के बाहों में
सुकून बसता है तो बस
प्रकृति तेरी ही पनाहों में।
एक बेहतरीन नमूना है प्रकृति,
खुदा के करिश्मे का।
यदि आप प्रकृति से प्रेम नहीं करेंगे तो,
प्रकृति भी आपसे प्रेम नहीं करेगी।
कश्ती पर सवार हो इंतजार है एक तेरा,
समंदर की मस्ती भरी लहरों पर चले
सुनो अब चले उस नीले गगन तले।
बदलो के साए में, पर्वतो की बाहों में
राहते यही बसती है झील की पनाहों में।
करिश्मा कुदरत है ये ,
देखो चारों तरफ़ हरियाली है,
हम काटते है इनको और
वो करती हमारी रखवाली है।
फ़िजा के रंग सभी अभी बरकार है,
जो पहुंच के पार है वही पर बहार है।
जिसने बुझा वही है सयाना,
छुपा है प्रकृति में अपार खजाना।
सबको प्रकृति ने ही पोषित किया है,
सबकुछ प्रकृति ने ही रोपित किया है,
प्रकृति से बढ़कर कोई वरदान नहीं,
प्रकृति से खिलवाड़ से बढ़कर कोई पाप नहीं।
क्या खूब रंग दिखाया है कुदरत ने,
सबक सिखाया है इंसानो को प्रकृति दोहन का,
कैद घर में होने के बाद समझ आया है,
की हमने प्रकृति को कितना रुलाया है।
पर्वत से सीखो गर्व से शीश उठाना,
सागर से सीखो जी भरकर लहराना,
प्रकृति नहीं सिखाती किसी को ठुकराना,
इसे बस सबको अपनाना आता है।
पहला हमारा कर्तव्य प्रकृति की सुरक्षा,
कोई इससे बड़ा काम नहीं दूजा,
हमारा फर्ज है प्रकृति का संरक्षण,
क्योकि जीवन हमारा प्रकृति से ही जुड़ा है।
बादल छा रहे है फिजा में,
आसार है बारिश आने के,
नाच रही है हवा मग्न होकर,
प्रकृति को दिल से आभार है।
सुहाना मौसम हवा का तराना,
प्रकृति का हर नजारा खुशरंग है।
सौंदर्यता से प्रकृति भरी पूरी है,
इसकी रक्षा भी उतनी ही जरूरी है।
सरसराहट हवा की,
चचहाहट चिड़िया की,
समुद्र का शोर,
जंगलो में नाचते मोर,
नहीं इनका कोई मोल,
क्योकि प्रकृति है अनमोल।
प्रकृति हमसे कहना चाहती है,
संभल जाओ अभी से बचा है वक्त,
बहुत हुआ दोहन और चली मनमर्जी,
सुधरे नहीं तो फिर दिखेगी प्रकृति की सख्ती।
ये प्यारी ओस की बूंदे,
ये खिलखिलाती सूरज की किरणे,
ये लहराते हवा के झोकें,
सब है प्रकृति का तोहफे।
सबसे प्यारी प्रकृति है,
कभी धीमी सूरज की रोशनी,
कभी धूप हो जाती है चिलचिलाती,
कभी छा जाता है धना अंधियारा,
कभी तारों की रोशनी है टिमटिमाती।
कभी आसमां में बादल काले,
कभी आसमां में सफ़ेदी प्यारी,
कभी फूल है मुरझा जाते,
कभी खिलती है कली प्यारी प्यारी।
दुनिया वो नहीं जो दिखती है,
दुनिया तो प्रकृति के सात रंगो से ही
खिलती है।
तुम्हे दुनिया में वही मिलता है जो
तुम दुसरो को देते हो,
एक ऐसी व्यवस्था प्रकृति ही है जो
सिर्फ देती है बदले में कुछ लेती नहीं।
पेड़ तो मानव जीवन का आधार है,
इसको तो संरक्षित करो मेरे यार।
प्रकृति से ही है जीवन का आधार,
इसके बिना सबका जीवन है बेकार।
प्रकृति अभी भी बरकरार है,
धरती पर तभी तो बहार है।
आओ हम मिलकर पेड़ लगाए,
धरती को फिर से स्वर्ग बनाए।
मेध के साए में गिरी के बाहों में,
सुकून बसता है प्रकृति तेरी ही पनाहों में।
प्रकृति तेरे हर रूप की में दीवानी
तेरी धूप तेरी छांव के बिन दुनिया अधूरी,
नदी नहरों का बहता ये पावन पानी,
ऐसी पावन प्रकृति बिन अधूरी मनुष्य की
कहानी।
ये धरा, ये हवा, ये गगन, ये पवन सब है,
प्रकृति के ही फूल।
इनका एहसास ही है जीवन की खुशबु और
जिंदगी का मूल।