तारीफ क्या करू में तुम्हारी क्यूंकि
तुम्हीं एक तारीफ हो।
जिस कागज़ पर लिख दूं
में आपकी तारीफ
क स्याही भी तेरे हुस्न की
गुलाम हो जाये।
तुम जो निगाहों से हमारे दिल को
यु हलाल करते हो
करते तो वैसे तुम जुर्म हो लेकिन
कमाल के करते हो।
के क्या लिखूं तेरी तारीफ ए
समन मेरे यार
अल्फ़ाज़ कम पड़ रहे है तेरी
ये मासूमियत देखकर।
हमारे लफ्जों में है तारीफ ऐक चेहरे की
हमारे महबूब की मुस्कुराहट से चलती है
शायरी हमारी।
तुम अपनी निगाहों से न देख खुद को
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू लेकिन
मेरी नजर में चाँद भी तेरा टुकड़ा होगा।
तू भी मेरे दिल के लाइब्रेरी
की वो डायरी है
जिसे हम पढ़ना कम और देखना
ज्यादा पसंद करता हे।
बड़े खूबसूरत हो तुम
देख कर फ़िदा हो उठे
हम ऐसी सूरत हो तुम।
Khubsurati KI Tareef Shayari
सब तारीफ कर रहे थे अपने प्यार की
और हम नींद का बहाना दे कर महफ़िल
छोड़ आये।
इज्ज़त और तारीफ मांगी नहीं जाती
कमाई जाती है।
ख़्वाहिश ये नहीं की मेरी तारीफ
हर कोई करें लेकिन लेकिन
कोशिश ये जरूर है, कोई बुरा न कहे।
वो अपने चहरे में सो आफ़ताब रखते है
इस लिए तो वो रूह पर नकाब रखते है
वो पास बैठे हो तो आती है दिलरुबा खुश्बू
वो अपने होठो पर खिलते गुलाब रखते है।
वो हमे रोज कहती थी मुझे तुम
चाँद ला कर दो
उसे एक आईना दे कर अकेला छोड़
आया हूँ।
मुझ पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम
न लगाया कर
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत
क्यों हो।
तुम्हे पलको पर बिठाने को जी चाहता है
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है
खूबसूरती की इंतेहा है तू
तुम्हे जिंदगी में बसाने को जी चाहता है।
आपके सामने जो दूसरों की बुराई
कर रहा है
आप उससे ये उम्मीद मत रखना
के दूसरों के
सामने आप की तारीफ ही करेगा।
Shayari On tareef
क्युकी हम तुम्हे वैसे ही पसंद किया है
जैसे तुम हो कल तुम्हारा तारीफ करना
अच्छा लगता था तोह आज दूर रहना
रुक जाना यह भी सही है।
तुमको देखा तो मोहब्बत भी समझ आयी
वर्ण इस लफ्ज़ की सिर्फ तारीफ
सुना करते थे।
तेरे हसन का करू ही क्या में तारीफ
तू जो एक बार मुस्कुरादे तो इश्क़ मेह
पड़जाये ये पूरा महफ़िल।
क्या खाक करू उस चाँद की तारीफ में
जो हर लम्हा डूब जाता है
अब तो चाँद को भी तैरना सीखना है।
जहां तारीफ करनी हो वहां हर कोई
चुप हो जाते है
और बुराई करने के लिए गूंगे भी
बोल पढ़ते है।
Tareef Shayari For Girls & Boy
नहीं कहता में उसकी तारीफ के किस्से
अब उन्हें आँकूं तो आँकूं किससे।
खुश होना है तो तारीफ सुनिए और
बेहतर होना है तो निंदा।
तेरे हुस्न पर लिखू में क्या तारीफ
मेरी जान
वो लफ्ज ही नहीं जो तेरा हुस्न को
बया कर सकें।
जिससे लिखते हुए मुझे तकलीफ़
बहुत होती है
मेरे उस शेर की तारीफ बहुत होती है।
मै अपनी तारीफ तो खुद ही करता हूँ
क्योकि मेरी बुराई के लिए तो पूरा
जमाना तैयार बैठा है।
चाँद सा जब कहा तो कहने लगे
चाँद कहिये ना, चाँद सा क्या है।
तेरी जितनी तारीफ करू उतनी ही कम है
तेरे सिवा हम कुछ भी नहीं अगर
तुम हो तो हम है।
यूं तो दुनिया में देखने लायक
बहुत कुछ है
पर पता नहीं क्यों ये आंखे सिर्फ
तुम्हारी आँखों
पर आकर ही रुक जाती है।
चेहरा उसका रूहानी है
लगता जैसे कोई कहानी है
ना बीते उन लफ्जो की एक
प्यारी सी वो लड़की दीवानी है।
” पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद “