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एक गांव को शहर से ज्यादा शाँत और शुद्ध माना जाता हे क्योकि गांव के लोग प्रकृति से अधिक निकट रहते हे। गांव में भले ही सुविधाएं कम होती हे लेकिन गांव में रहने वाले लोग सुकून और शांतिमय जीवन जीते हे।
शहर में रहने वाले लोग सुकून और शांति पाने के लिए अपने गांव आते हे। गांव में ताजी हवा , शांतिमय जीवन यानिकि गांव का साफ और सादगी का जीवन बड़ा ही प्यार होता हे।
इस आर्टिकल में में आपको गांव के पर शायरी , स्टेटस और कोट्स पर बात करने वाले हे जिसे पढ़कर आपको भी गांव के प्रति सादगी और गांव की सुंदरता का एहसास हो सके।
गाँव पर शायरी
की इस मतलब भरी दुनिया में
मैने तेरे जैसा समझदार नहीं देखा
तूने शहर वाले की चक्ले तो देख ली
मगर गाँव वालो का किरदार नहीं देखा
किसी ने क्या खूब लिखा हे की
गांव को गांव ही रहने दो साहब
क्यों शहर बनाने में तुले हुए हो
गांव में रहेंगे तो माता पिता से जाने जाएंगे
और शहर में रहेंगे तो मकान नंबर से जाने जायेंगे
गांव में बड़े होने पर भी
बच्चो को माता - पिता डाटते हे
ऐसा प्रतीत होता हे जैसे की
अपनापन और खुशियाँ बाटते हे।
हम जहाँ के रहवासी हे
वहा मौसम अपना रंग बदलता हे
लोग नहीं
ढूंढ रहा हे मन मेरा
आज फिर उन गलियों को
जहा मेरा बचपन
खेला करता था
में गांव का ठहरा
शहरों में जाने की आशा थी
जब पंहुचा शहर वहाँ
अपनो की तलाश थी
गांव की सादगी शहर में न मिल पायेगी
किसी दर्द की दवा जहर में न मिल पायेगी
खेतो का पानी अब
आँखों में आने लगा
मेरे गाँव का किसान अब
शहर में आ गया
न जाने कितने साल
और कितने दिन बीत गए
गाँव जाने की तम्मना थी
मगर हम शहर में ही फस गए
Villages Attitude Shayari
तमाम दौलत कमाकर भी
तेरा शहर सस्ता हे
ये सोचकर मेरे अंदर का
गाँव हसता हे।
ख़ुशी के माहौल में
मौत आ रही हे
और जो कहते थे की गाँव में क्या रखा हे
उनको भी आज गाँव की याद आ रही हे।
गाँव के लिए शायरी
की पेड़ काटने आये थे
कुछ लोग मेरे गाँव में
अभी धुप बहुत तेज़ हे कहकर
लेट गए उसकी ही छाँव में
टपकती हे छत उसके
कच्चे घर की फिर भी
वो किसान करना हे
बारिश दुआ की।
मतलबी लोगो से अच्छे
तो दुश्मन हे
सुविधाएं कम हे लेकिन
मेरा गाँव शहर से अच्छा हे।
पैसो को देखकर रंग
फिसलता नहीं हे
गाँव का इश्क हे साहब
हररोज बदलता नहीं हे
यहाँ मौसम रंग बदलते
हे मगर गाँव के लोग नहीं
की खोल चहेरो पर
चढाने नहीं आते हमें
हम गाँव के लोग हे जो
शहर कम आते हे।
की निम का पेड़ था
बारिश थी और झूला था
गाँव में गुजरा हुआ मेरा बचपन
भी का बचपन था
कुछ मजबूरियां होती हे साहब
वरना यहाँ कौन अपने गाँव को
छोड़कर शहर जाना चाहता हे
चन्द लम्हो का इश्क
हम कभी करते नहीं हे
हम गाँव के आशिक हे जो
हर किसी पर मरते नहीं
Village Status In Hindi
शहर में सारे बीमार पड़े
शहरी होना बीमारी हे
शहरी प्रतिस्पर्धा ही
गावों की हत्यारी हे
शहर जाकर बस गया
हर शख्श पैसे के लिए
ख्वाहिशो ने मेरा पूरा
गांव खाली कर दिया
बिना बुलाये आ जाते थे
गांव में रोज मिलने
ये परिंदे शहर के
मसरूफ बड़े हे
शहर से तो अच्छा मेरा गांव हे साहब
जहाँ मकान को नंबर से नहीं बल्कि
पिता के नाम से पहचाना जाता हे
शहरों में त्यौहार में चूड़ियाँ नजर आती हे
और गांव में आज भी चूड़ियाँ की खनखन
आवाज सुनाई देती हे
आज भी दरवाजे से छिपकर
वो देखती हे मुझे
गांव का इश्क हे जनाब '
शहर की नौटंकिया नहीं
क्या जमाना था जब एक खत
पूरा गांव पढ़ता था आज
हर एक मोबाईल लेकर '
मतलबी हो गया हे
गाँव में दिखती नहीं हे
तरक्की की निशानी
मगर यहाँ सुबह होती हे
बड़ी सुहानी
चाहे कितना भी क्यों
न हो जख्म घाव का
अकेलापन कभी महसूस नहीं होता
अगर में अपने गाँव हो
जो लोग गाँव का मज़ा
शहर में ढूंढते हे
वो लोग जीने का मज़ा
ज़हर में ढूंढते हे
Villages Shayari In Hindi
कितनी तकलीफ़ उठाकर
कमाते हे वो बच्चे
गाँव से शहर आते हे
अब तो सबको मेरे
गाँव की याद आएगी
कोरोना जो आया हे
शहरों में
लहराते हुए खेत और
हवाओ की ताज़गी से मन शांत हुआ
आज मुझे गाँव अपना और
शहर अनजान लगा
शहर की हलचल से दूर
यहाँ मन को आराम मिलता हे
शहर में तो बस मकान ही हे
घर तो अपना आज भी गाँव में ही हे।
किताबो की पढाई में होगा
शहर गाँव से आगे
मगर संस्कार में तो गाँव आज
भी शहर से आगे ही हे।
शहर जाकर बस गया हर
शख्स पैसे के लिए
ख्वाहिशों ने मेरा पूरा
गाँव खली कर दिया
शहर में पंछियो को पकड़ना
समझदारी हे
गांवो में दाने उछलना
आज भी जारी हे
Village Quotes In Hindi 2021
शहर में छाले पड़ जाते हे
जिंदगी के पाँव में
सुकून का जीवन जीना हे तो
आ जाओ गांव में
गांव का मज़ा शहर में ढूंढते हो
ज़हर की दवा ज़हर में ढूंढते हो
सुना हे उसने खरीद लिया घर शहर में
लेकिन आंगन दिखाने के लिए वो बच्चा गांव लाता हे
माना की शहर में तुम्हारा तरक्की
वाला मकान हे मगर
गांव में गरीबो का जीवन में भी
सुकून और शान हे
शहर किसी का सपना जरूर पूरा कर सकता हे
मगर गांव कभी किसी को भूखे मरने नहीं देता
बहुत वक्त हुआ खुद से मिले हुए
कल सुबह में अपने गांव जा रहा हु
वो शहर का परिंदा बेक़रार हे
गाँव आने को
जो कभी भूल गया था
गाँव के आशियाने को
को कल टुटा था
वो जुड़ रहा हे
अब हर परिंदा गाँव की और
मुड़ रहा हे
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की गाँव से तो बेकार
मत समझना
सुन्दर तो नहीं पर
दिल का बेकार न समझना
की एक तेरा शहर पानी के
लिए खून बहा देता हे
और एक मेरा गाँव जो
पानी न मिले तो प्यार बाँट लेता हे
मेरी चाहत शहर हे मगर
मेरी मोहब्बत तो आज भी
गाँव ही हे
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