शिकवा शायरी इन हिन्दी – Shikava Shayari , Status And Photos

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Shikava Shayari 2022

मुश्किल है जिना प्यार के दुनिया में 

जिंदगी अपनी है 

बरबाद कोई और कर जाता है।

 

Shikava Shayari In Hindi

 

भूल जाना तो रस्म है दुनिया की 

तुमने भूलकर कौन सा कमाल कर 

दिया। 

 

 

दूर रहकर दुनिया बढ़ाया नहीं करते 

इश्क़ में यूं किसी को तड़पाया नहीं करते 

अनजाने में बन जाता है अपना 

किसी को दिल देकर रुलाया नहीं करते। 

 

 

अरे थक गया हूं तेरी नौकरी से 

ऐ जिंदगी 

मुनासिब होगा मेरा हिसाब करदे। 

 

 

मत लो मेरी चाहत का इतिहान 

अगर हार गये तो दर्द तुम्हें भी होगा। 

 

Shikava Shayari In Hindi

 

में सोचता था की वो मुझे 

देखती है 

में सोचता था की वो मुझे 

देखती है 

मुझे तो आज पता चला की 

वो मुझे नहीं

मुझमे किसी और को देखती 

है। 

 

 

रिश्ता नहीं रखना तो हम पर नज़र 

क्यों रखते हो 

जिन्दा है या मर गए तुम ये खबर 

क्यों रखते हो। 

 

 

जीते थे हम भी शान से 

महेक उठी थी जिंदगी किसी के 

नाम से फिर गुजरे उस मकाम से 

नफरत सी हो गई महोब्बत के नाम से। 

 

 

टुटा हो दिल तो दर्द होता है 

किसी से मोहब्बत कर के दिल रोता है।

 

 

Shikava Shayari In Hindi

 

हर कोई सो जाता है अपने कल 

के लिए

मगर ये नहीं सोचते की आज 

जिसका दिल 

दिखया वो सोया होगा या नहीं। 

 

 

टाइम टाइम की बात है कौन किसका 

होता है 

घोखा वही देता है जिस पर भरोसा 

होता है। 

 

 

गम एक अनुभव है वो हर 

किसी के पास है 

ख़ुशी एक एहसास है जिसकी 

हर किसी को तलाश है। 

 

 

मेरे दिल की उम्मीदो का हौसला 

तो देखो 

उसका है जिसे मेरा एहसास नहीं। 

 

 

Shikava Shayari In Hindi

 

मुझसे बहुत करीब है तू फिर भी 

ए मुनीर 

यदा सा कोई मेरे तेरे दरमियां तो है। 

 

 

बहुत दर्द है ऐ जान ऐ अदा तेरी 

मोहब्बत में 

कैसे कह दूं की तुझे वफ़ा निभानी 

नहीं आती। 

 

 

सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है 

तुमसे 

लेकिन इस बार बेवफ़ाई हम करेंगे। 

 

मत चाहो किसी को इतना टूटकर 

प्यार में

अगर बिछड़ गए तो हर एक अदा 

तंग करेगी। 

 

Shikava Shayari In Hindi

 

जब भी हो एक मुलाकात मन की 

बात कह दीजिये

बहुत खामोश रिश्ते ज्यादा दिनों तक 

जिंदा नहीं रहते। 

 

 

अजीब मिठास है मुझ गरीब के 

खून में भी 

जिसे भी मौका मिलता है वो पीता 

जरूर है। 

 

 

छोड़ तो सकता हूं मगर छोड़ नहीं 

पाता उसे 

वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की 

तरह है। 

 

 

निंद से क्या शिकवा जो आती नहीं 

रात भर कसूर तो उन सपनो का है 

जो सोने नहीं देते। 

 

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