अपना बचपन किसे याद नहीं आता। जब बच्चे थे तब ये उम्मीद थी की बड़े कब होंगे और आज बड़े तब जाकर समझ आया की वो बच्चे ही ठीक थे। ना कोई जिम्मेदारी थी ना कोई शोख थे लेकिन वो बचपन अच्छा था बस हर पल ख़ुशी ही थी ना कोई दर्द था।
तो दोस्तों आज हम अपने बचपन को याद दिलाने वाली शायरी लेकर आये हे हमें उम्मीद हे आपको ये शायरी जरूर पसंद आएगी।
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बचपन के लिए शायरी
माँ की कहानी थी और
और परियो का फ़साना था
बारिश के दिनों में कागज की नाव थी
बचपन का वो हर मौसम सुहाना था
ना रोने की कोई वजह थी ‘
ना हसने का कोई बहाना था
क्यों हो गए इतने बड़े इससे
तो अच्छा तो वो बचपन का जमाना था।
जब थे दिन बचपन के
वो थे बहोत सुहाने पल
उदासी दे न कोई नाता था
और गुस्सा तो कभी न आता था
बच्चो को बचपन की
उड़न दे दो
मजदूरी को रोक कर तुम उनके
चहेरे पर मुस्कान दे दो
बचपन में ही मैने जिम्मेदारियों
को बढ़ते हुए देखा हे
मेने अपने अंदर एक बच्चे को
मरते हुए देखा हे।
आज भी याद आता हे हमें
वो बचपन का खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना , मनाना और
रूठना।
बचपन से जवानी के सफर में
कुछ ऐसी सीढ़िया चढ़ते हे
बचपन में रोते हुए हसते थे
जवानी में हसते हुए रो लेते हे
झूठ बोलते थे फिर भी कितने
सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है …जब
बच्चे थे हम ….
सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
कोई स्कुल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है। .
खबर ना होती सुबह की
ना कोई शाम का ठिकाना था
थक हार के आना स्कुल से
पर खेलने को तो जरूर था जाना। ..
सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब
बचपन वाला इतवार अब बार बार नहीं आता। .
इतनी चाहत तो लाखो रुपये
पाने की भी नहीं हे अब
जीतनी बचपन की तस्वीर को देखकर
बचपन में जाने की होती है। ..
बचपन शायरी वीडियो
हम बच्चे दुःख में भी मुस्कुराते
और गीत ख़ुशी के गाते है
क्योकि हम है सीधे सादे बच्चे
हम है भारत माँ के सच्चे बच्चे। ..
Bacho Ke Liye shayari
मैडम आज न डाटना हमको
आज हम खेलेंगे को गायेंगे
साल भर हमने किया हे इंतजार
आज हम फिर एक बाल दिवस मनाएगे। ..
आज का दिन है बच्चो का
कोमल मन का और कच्ची कलियों का
मन के सच्चे ये प्यारे बच्चे
चाचा नेहरू को है प्यारे बच्चे। ..
बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहे छत पर सोये
या जमीन पर लेकिन
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी। ..
उन्होंने आज हम पर तिरछी नजर डाली
तो हम मदहोश हो गए
बाद में पता चला नजर ही तिरछी है
तो हम बेहोश हो गए। …
बच्चो के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पठ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे। .
रोते -रोते थक कर जैसे कोई बच्चा सो जाता है
हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो जाता है …
दौलत से मोहब्बत तो नहीं थी मुझे लेकिन
बच्चो ने खिलौनों की तफर देख लिया है। .
कभी तो देख लिया करो
बुजुर्ग माँ बाप की आँखो में
वो ऐसा दर्पण है जिनमे
बच्चे कभी बूठे नहीं होते। .
बच्चे मन के सच्चे
सारे जग के चाँद सितारे
ये जो नन्हे नन्हे फूल है जो
भगवान को लगते प्यारे। ..
तुझे मै चलना सिखलाऊ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मै बूठा हो जाऊ….
Chote Bache Ke Liye Shayari
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब ये दिल नहीं सिर्फ खिलौने
ही टूटा करते थे…
एक हाथी एक राजा एक रानी के बग़ैर
नीद बच्चो को नहीं
आती कहानी के बग़ैर। ..
बारिश का पानी आजकल
सुना है कागज की नाव से क्योकि नाव
बनाने वाले बच्चे अब बड़े हो गये है …
बच्चो के छोटे हाथो को चाँद सितारें छूने दो
चार किताबे पठ कर ये भी
है जैसे हो जाएँगे। ..
क्यों हो गए हम इतने बड़े
इससे अच्छे तो वो
बचपन का जमाना था। ..
भूख चहेरो पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
बेचते फिरते हे गलियों में
गुब्बारे बच्चे। ..
वो बचपन की अमीरी न जाने कहा खो गई
बारिश , पानी और जहाज की
बाते जो भी अब एक ख्वाब हो गई।
रोने की वहज न थी
ना हँसने का बहाना था
क्यों हो गए हम इतने बड़े
इसे अच्छा तो वो हमारा कल का बचपन था।
एक बचपन का जमाना था
होता जब खुशियों का खजाना था
चाहत होती चाँद को पाने की पर
दिल तो रंगबेरंगी तितली का दीवाना था।