हैलो दोस्तों आप सभी को में दिल से स्वागत करता हुं। के आज में इस कहानी में आपको एक बड़े आश्रम के बच्चो के बारे में बात करने वाला हुं। जिसमे दो बच्चे पढ़ाई ख़तम होने के बाद घर जाने वाले थे। तब गुरूजी उनको एक और परीक्षा देने बारे में बात करते हे। तब वो दोनों बच्चे परीक्षा लेने के लिए मान जाते हे। और उसमे एक बच्चा पास होने के बाद घर चला जाता हे। और दूसरा आश्रम में रहेता हे। तो चलो हम इस कहानी को देख लेते हे।

शिक्षा प्राप्त करने का सही तरीक़ा – Motivation Story In Hindi
ये कहानी हे एक बड़े आश्रम की जिसमे पहेले के समय शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चो को वहां पर भेजा जाता था। उस आश्रम में भी काफी बच्चे पढ़ने के लिए आते थे। उस आश्रम में छोटे बड़े का या ना अमीर गरीब का भेदभाव किया जाता था। वहां पर सभी बच्चो को एकसमान शिक्षा प्राप्त होती थी। वो आश्रम बहोत ही बड़ा था। उसमे दूर दूर से बच्चों को पढ़ने के लिए लाया जाता था। बच्चो को अच्छे से अच्छे शिक्षा प्राप्त हो ऐसे प्रयास किये जाते थे। आश्रम में एक गुरूजी भी थे। जो बच्चो को शिक्षा देते थे। आश्रम में अनेक निति नियम बनाये थे। उस आश्रम में जो बच्चे शिक्षा प्राप्त करले उसके बाद उसको एक परीक्षा देनी पड़ती थी। जो बताए वो करना पड़ता और उसमे पास हो जाए तो उसे घर जाने को मिलता था। अगर नापास हो जाए तो उसे वापस शिक्षा के लिए आश्रम में रहेना पड़ता था। ये कहानी उसी आश्रम में रहने वाले दो बच्चो की हे। जिनके नाम संजय और सुरेश था संजय और सुरेश की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। वो अब आश्रम से घर जाने वाले थे। दोनों ही बहोत खुश थे। और ये दिन उसका आश्रम में लास्ट डे था।
संजय और सुरेश गर जाने के लिए निकल ते हे। तभी गुरूजी उन दोनों को उनके पास बुलाते हे। और उनको कहते हे की तुम दोनों को मेरी एक परीक्षा पास करनी होगी तभी संजय गुरुजी से पूछता हे की गुरुजी हमारी पढ़ाई पूरी हो चुकी हे और हम घर जाने के लिए निकले हे तब गुरूजी ने कहा हा आप दोनों की परीक्षा पूरी हो चुकी हे। लेकिन मेरी एक परिखा बाकि हे। तुम दोनों अगर उसमे पास हो गए तो घर जा सकते हो। संजय गुरूजी से कहता हे की गुरूजी कौन सी परीक्षा तब गुरूजी उस दोनों को कहते हे। की में तुम दोनों को एक एक कबूतर दूंगा तुम दोनों को उसे इस तरह मारना होगा की आपको मारते समय कोई न देख रहा हो। संजय और सुरेश कबूतर को लेकर वहां से निकल जाते हे। और फिर संजय कबूतर को लेकर एक गुफा में चला जाता हे और आसपास देखता हे तो कोई नजर नहीं आता हे और वो कबूतर की गर्दन मरोड़ कर मार डालता हे और फिर वो गुरूजी के पास आकर कहेता हे। ये दिखये गुरूजी कबूतर को मैने ऐसी जगह मारा जहां कोई न देखता हो मैने कबूतर को गुफा में जाकर मारा तो में इस परीक्षा में पास हो गया।
त्यारे गुरूजी ये संजय ने सुरेश का ईंतजार करने के लिए कहा गुरूजी और संजय सुरेश का सुबह से श्याम तक ईंतजार करते हे। श्याम ढलने को आई थी और गुरूजी को सुरेश आता दिखाई देता हे तब गुरूजी ने कहा सुरेश ईतनी देर क्यु हो गई और ये कबूतर जिन्दा क्यु हे। तब सुरेशन ने गुरूजी को कहा की मुझे माफ़ कर दीजिये में ईस कबूतर को नहीं मार पाया और में परीक्षा में नापास हो गया तभी गुरूजी ने पूछा क्यु नहीं मार पाए तब सुरेश ने कहा ये बहोत लंबी कहानी हे। गुरूजी ने कहा बताओ क्यां हुआ तब सुरेश ने कहा गुरूजी में ईस कबूतर को जंगल में ले गया लेकिन वहां पशु पक्षी मुझे देखते थे। फिर में समुंद्र के किनारे गया लेकिन वहां भी मछलीया और जल मुझे देखते थे। फिर में गुफा में गया तो वहां अंघेरा और में खुद ईसे देखता था। तब गुरूजी ने कहा बेटा तुम मेरी परीक्षा में पास हो गए हो। में जो शिखा देना चाहता था। वो तुमने ले ली हे अब तुम घर जा सकते हो ईतना कहकर गुरूजी ने मरे हुए कबूतर को जिन्दा कर दिया और संजय को मनमे लगा की उसे अभी शिक्षा की जरूरत हे। और वो चुपचाप कुछ भी कहे बिना वहां से चला गया।
दोस्तों हमे इस कहानी से ये प्रेरणा मिलती हे। की हमे जब पढ़ाई करने के लिए कहा जाय तो हमे पूरी महेनत से और समझदारी से उसे प्राप्त करनी चाहिए जिसके कारण हम जीवन में आने वाली मुसीबत का सामना कर सकते हे। और हम कोई भी परीक्षा में सफल हो सकते हे।
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